NITI Aayog की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को डीप-सी और ऑफशोर मछली पकड़ने में आगे बढ़ने के लिए साफ नियम, जहाज, फंड और निगरानी की जरूरत है। निवेश और योजनाओं से भारत मछली निर्यात और उत्पादन दोनों में मजबूत बन सकता है।
NITI Aayog की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का मछली और मछली उत्पादों का निर्यात 2013-14 में ₹30,213 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में ₹60,523 करोड़ हो गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले 15 साल में इस क्षेत्र में करीब ₹9,000 करोड़ का निवेश करना चाहिए ताकि डीप-सी और ऑफशोर फिशरी भी इनलैंड फिशरी की तरह फल-फूल सके।
तीन चरणों की योजना
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए तीन चरणों में काम होना चाहिए।
- 2025-28: शुरुआती आधार तैयार करना।
- 2029-32: उत्पादन बढ़ाना और दुनिया में प्रतिस्पर्धा मजबूत करना।
- 2033-41: भारत को डीप-सी फिशरी में ग्लोबल लीडर बनाना।
कानून और नियम सुधारने की जरूरत
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को डीप-सी मछली पकड़ने के लिए साफ-सुथरे नियम बनाने चाहिए, जो अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार हों। लाइसेंसिंग, पंजीकरण और मछली पकड़ने के नियम भी स्पष्ट और टिकाऊ तरीके से बनें।
निगरानी और एजेंसी
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि डीप-सी फिशरी के लिए एक खास एजेंसी या निदेशालय बनाया जाए। इसके जरिए मछली की जानकारी इकट्ठा करना, स्टॉक का आकलन और निगरानी करना आसान होगा। साथ ही, एक विशेष फंड और प्रोग्राम मैनेजमेंट यूनिट भी बननी चाहिए।
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उपकरण और निर्यात
मछली पकड़ने के तरीके और जहाजों का चुनाव मछली की प्रजाति, जहाज की क्षमता और नियमों के अनुसार होना चाहिए। निर्यात बढ़ाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर और सिस्टम भी मजबूत होना चाहिए।
भारत की मौजूदा स्थिति
2023 में भारत के पास केवल 4 डीप-सी फिशिंग जहाज थे, जबकि श्रीलंका के पास 1,883 और ईरान के पास 1,216 जहाज हैं। इसी वजह से भारत का हिस्सा हाई-सी फिशरी में कम रहा है।
समुद्री क्षेत्र और संभावनाएं
भारत की तटरेखा 11,098 किलोमीटर लंबी है और EEZ के बाहर की गहरी समुद्री जलराशि में टूना, बिलफिश और श्रिम्प जैसी कीमती मछलियां हैं। EEZ की संभावित मछली उत्पादन क्षमता 7.16 मिलियन टन है।
रिपोर्ट कहती है कि सही नीतियों, मजबूत संस्थाओं, बेहतर उपकरण और टिकाऊ प्रबंधन से भारत अपनी डीप-सी और ऑफशोर मछली पकड़ने की पूरी क्षमता का इस्तेमाल कर सकता है और इसे लंबे समय तक सुरक्षित रख सकता है।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।