क्या आपको पता है कि देश भर में लगभग 9000 रजिस्टर्ड कोल्ड स्टोरेज हैं. इस मामले में यूपी सबसे आगे है जहां लगभग 2500 कोल्ड स्टोरेज हैं और उसके बाद गुजरात का नंबर है जहां हजार से भी ज्यादा कोल्ड स्टोरेज हैं. हालांकि इनके बावजूद अब भी ये संख्या देश के किसानों और उनके फसलों के रख रखाव के लिए पर्याप्त नहीं है. कुछ दिन पहले ही न्यूज़ पोटली ने ही ये खबर की थी कि बिहार किस तरह से कोल्ड स्टोरेज की कमियों से गुजर रहा है. केंद्र सरकार देश भर में कोल्ड स्टोरेजेज की इसी कमी को दूर करने के लियें एक योजना लाई है. नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड ने ये ऐलान किया है कि वह कोल्ड स्टोरेज के निर्माण के लिए किसानों या उद्यमियों को 35 से 50 परसेंट की सब्सिडी देगा.
क्या है योजना?
नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड ने तय किया है कि वह पोस्ट हार्वेस्ट से संबंधित किसानों की जो भी समस्याएं है, उनके निराकरण के लिए योजनाओं पर काम करेगा. उसके लिए बोर्ड नई परियोजनाएं शुरू करने जा रहा है, जिसके अंतर्गत पैकेजिंग से लेकर फसलों के लिए हाउस, रिपनिंग चैंबर, रेफर वैन, रिटेल आउटलेट और प्री-कूलिंग यूनिट को बनाना भी आएगा. आसान भाषा में कहें तो फसलों को पकाने का जुगाड़, उनको रखने की जगह, खुदरा व्यापार का केंद्र और जिन फसलों को प्री कूलिंग की आवश्यकता है, उनके लिए संसाधन बनाने में सरकार सहयोग करेगी.
कौन कौन सी फसलें आएंगी योजना के दायरे में?
नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड के अनुसार फल, सब्जियां, फूल, सुगंध देने वाले पौधे और काजू जैसी फसलों को पोस्ट हार्वेस्ट सुरक्षित रखने के जतन ही सरकार की इस परियोजना के अंतर्गत आएंगे. बोर्ड का मानना है कि ये सारी ऐसी फसलें हैं जिनके लिए कोल्ड स्टोरेज जैसे संसाधन ना होने की वजह से किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. ऐसे में इन संसाधनों के लिए मिलने जा रही 35 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी किसानों के लिए राहत का वो जरिया बन सकती है जिसका इंतज़ार किसानों को एक अरसे से था.
क्या है इस परियोजना की सीमा?
केंद्र सरकार ने इस योजना के लिए एक और मानक तय कर रखा है. उन राज्यों में जहां खेती की स्थिति और वातावरण सामान्य है, केंद्र सरकार वहाँ अधिकतम प्रति परियोजना 50.75 लाख रुपये तक या परियोजना लागत का 50% तक सब्सिडी देगी.
पूर्वोत्तर क्षेत्र, पहाड़ी राज्यों या अनुसूचित क्षेत्रों में केंद्र सरकार प्रति परियोजना अधिकतम 72.50 लाख की सब्सिडी देगी.