किसानों की आय दोगुना करने के ल‍िए निवेश को और बढ़ाने की जरूरत: आर्थिक सर्वेक्षण

सीमांंत क‍िसानों, जलवायु पर‍िवर्तन, प्रत‍िकूल मौसम

केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने सोमवार को (संसद में आर्थिक सर्वेक्षण (ECONOMIC SURVEY) 2023-24 पेश किया। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि कृषि क्षेत्र का सकल पूंजी निर्माण (जीसीएफ) और सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) के प्रतिशत के रूप में कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में जीसीएफ की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है, जिसका मुख्य कारण सार्वजनिक निवेश में वृद्धि है। कृषि क्षेत्र का जीसीएफ 2022-23 में 19.04 प्रतिशत की दर से बढ़ा और जीवीए के प्रतिशत के रूप में जीसीएफ 2021-22 में 17.7 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 19.9 प्रतिशत हो गया, जो कृषि में निवेश में वृद्धि का संकेत देता है। 

वर्ष 2016-17 से 2022-23 तक जीसीएफ में औसत वार्षिक वृद्धि 9.70 प्रतिशत रही। सर्वेक्षण में कहा गया है कि जीसीएफ में बढ़ती प्रवृत्ति के बावजूद कृषि के क्षेत्र में, खासकर किसानों की आय दोगुनी करने के संदर्भ में निवेश को और बढ़ावा देने की आवश्यकता है। डीएफआई की 2016 की रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि 2016-17 से 2022-23 की अवधि में किसानों की आय को दोगुना करने के लिए, कृषि क्षेत्र में आय में 10.4 प्रतिशत की वार्षिक दर से वृद्धि की आवश्यकता होगी, जिसके लिए कृषि के क्षेत्र में निवेश में 12.5 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर की आवश्यकता होगी।

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आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि सरकार की प्राथमिकता समय पर, सस्ती दरों पर और पर्याप्त ऋण प्रदान करना है, जो गैर-संस्थागत ऋण पर निर्भरता को कम करता है और निवेश को बढ़ाता है। उपायों ने गैर-संस्थागत ऋण की हिस्सेदारी को 1950 के 90 प्रतिशत से घटाकर 2021-22 में 23.40 प्रतिशत कर दिया है। 31 जनवरी, 2024 तक, कृषि को वितरित कुल ऋण 22.84 लाख करोड़ रुपये था, जिसमें 13.67 लाख करोड़ रुपये फसल ऋण (अल्पकालिक) और 9.17 लाख करोड़ रुपए सावधि ऋण के लिए आवंटित किए गए थे।

किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी)

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) ने कृषि ऋण की सुलभता को सुव्यवस्थित किया है और 31 जनवरी, 2024 तक बैंकों ने 9.4 लाख करोड़ रुपए की सीमा के साथ 7.5 करोड़ केसीसी जारी किए हैं। एक और उपाय के रूप में, 2018-19 में मत्स्य पालन और पशुपालन गतिविधियों की कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए केसीसी को बढ़ाया गया, साथ ही बिना गारंटी के ऋण की सीमा को बढ़ाकर 1.6 लाख रुपए कर दिया गया। उधारकर्ताओं, दूध संघों और बैंकों के बीच त्रिपक्षीय समझौते (टीपीए) के मामले में, बिना गारंटी के ऋण 3 लाख रुपये तक दिया जा सकता है।

31 मार्च, 2024 तक, मत्स्य पालन और पशुपालन गतिविधियों के लिए क्रमशः 3.49 लाख केसीसी और 34.5 लाख केसीसी जारी किए गए। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि संयुक्त देयता समूह (जेएलजी) पट्टे पर खेती करने वाले किसानों के लिए ऋण के एक आवश्यक स्रोत के रूप में उभरे हैं। पिछले पांच वर्षों में जेएलजी खातों में 43.76 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से वृद्धि हुई है, जो पट्टे पर खेती करने वाले किसानों और हाशिए के वर्गों की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने में एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में उभर कर आया है।

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