गजब का मोबाइल ऐप, एक फोटो से पता चलेगा फसल में कौन सा कीट है, कैसे म‍िलेगा छुटकारा, जानिए कैसे होगा यह सब

राष्ट्रीय कीट निगरानी सिस्टम लॉन्च

किसान अपने मोबाइल से फोटो खीचेंगे और उन्‍हें तुरंत पता चल जायेगा क‍ि उनकी फसल में कौन सा कीट लगा है। इससे वे समय पर उपचार कर बड़े नुकसान से बच सकेंगे। और यह सब होगा एक मोबाइल ऐप के माध्‍यम से। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार स्‍वतंत्रता द‍िवस के मौके पर किसानों के लिए एक मोबाइल ऐप, राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली (एनपीएसएस) लॉन्च किया। जिससे वे अपने खेतों से फसल की तस्वीरें भेज सकते हैं, अगर कीट या कीटों से प्रभावित हैं। इससे सरकार को संक्रमण के पैमाने को जानने और उसके अनुसार कार्रवाई करने में मदद मिलेगी।

स्वतंत्रता दिवस समारोह को देखने के लिए विशेष आमंत्रित के रूप में दिल्ली आए किसानों के एक समूह में ऐप लॉन्च करते हुए चौहान ने कहा कि उन्हें व्यक्तिगत अनुभव है कि कैसे पहली रिपोर्ट के कुछ दिनों के भीतर सोयाबीन की फसल पूरी तरह से खराब हो गई। उन्होंने समय पर कार्रवाई के महत्व के बारे में बताया,”सूचना की समय पर उपलब्धता” महत्वपूर्ण कारक है।

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एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि किसान को ऐप का उपयोग करके फसल की (तुरंत) एक तस्वीर लेनी होगी और मोबाइल पर सहेजी गई तस्वीर अपलोड की जा सकती है। अधिकारी ने कहा, “चूंकि सरकार का इरादा जानकारी इकट्ठा करना और संक्रमण के पैमाने का आकलन करना है, इसलिए फसल का स्थान सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। ताकि एआई स्थिति का बेहतर विश्लेषण कर सके कि कोई विशेष कीट हमला गांव स्तर पर पाया गया है या किसी जिले के अधिक गांवों में या अधिक जिलों या राज्यों में।”

कीटों पर बढ़ेग न‍ियंत्रण, कम होगी लागत

कृष‍ि मंत्री ने कहा कि किसानों द्वारा कीटों के हमले के संदेह में स्थानीय कीटनाशक विक्रेता से सलाह लेने और कीटनाशक खरीदने की मौजूदा प्रथा कम होगी और इससे उन्हें लागत बचाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि ऐप न केवल किसानों को सही सलाह पाने में मदद करेगा, बल्कि कीटों से निपटने के लिए सही कीटनाशक खरीदने में भी उनकी मदद करेगा।

उन्‍होंने आगे कहा कि सितंबर से सरकार ऑल इंडिया रेडियो (AIR) पर “किसानों की बात” नाम से एक कार्यक्रम शुरू करेगी, जिसमें किसान और कृषि वैज्ञानिक मिलकर उत्पादकों के सामने आने वाली समस्याओं का समाधान करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “मन की बात” कार्यक्रम की तर्ज पर “किसानों की बात” भी महीने में एक बार आकाशवाणी पर प्रसारित की जाएगी।

इस बात पर जोर देते हुए कि किसानों को वैज्ञानिकों के शोध के बारे में पता होना चाहिए, उन्होंने कहा: “हमारा काम किसानों और वैज्ञानिकों को जोड़ना है। कई बार किसानों को जानकारी नहीं होती है, इसलिए वे गलत कीटनाशक का इस्तेमाल करते हैं। किसानों को विज्ञान का लाभ तुरंत मिले, यह सुनिश्चित करने के लिए हम महीने में एक बार किसान संवाद कार्यक्रम शुरू करेंगे, जिसमें उनके साथ वैज्ञानिक और कृषि विभाग के अधिकारी भाग लेंगे।

क‍िसानों के काम का वीड‍ियो

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