महाराष्ट्र में 25 मई यानी रविवार को मॉनसून ने दस्तक दे दी. लेकिन उससे पहले प्री-मॉनसून की बारिश ने ही किसानों को बड़ा नुकसान कर दिया है. अब मॉनसून के आते ही किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं. लेकिन कृषि विभाग की तरफ से किसानों को अभी बुवाई ना करने की सलाह दी गई है.
रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के ऐसे 425 रेवेन्यू डिवीजन मॉनसून के आते ही प्रभावित हुए हैं. राज्य के कृषि विभाग की तरफ से 2025-26 के खरीफ सीजन की बुवाई के लिए 156 लाख हेक्टेयर का अतिरिक्त लक्ष्य तय किया गया था. विभाग की तरफ से उर्वरक और बीजों की योजना पर काम जारी है, कई जिलों में मई के पहले हफ्ते से ही बारिश शुरू हो गई है. कृषि विभाग के अनुसार राज्य में गर्मी और बागवानी की फसलों को प्री-मॉनसून बारिश की वजह से काफी नुकसान हुआ है. विभाग ने 23 मई तक 32 हजार हेक्टेयर तक में फसलों के चौपट होने का अनुमान लगाया है.
कपास की बुवाई में देरी
बारिश ने राज्य में कपास की बुवाई को भी प्रभावित किया है. शनिवार और रविवार यानी 24 और 25 मई को राज्य के कुछ हिस्सों में भारी बारिश हुई है. इसकी वजह से बुवाई में देरी हो रही है. कृषि विभाग के अनुसार अभी आठ से 10 दिन लगेंगे तब जाकर ये इलाके इतनी ज्यादा बारिश के असर से बाहर आ पाएंगे. अगर इस हफ्ते बारिश रुकती है तो भी किसानों को थोड़ा सा इंतजार करना होगा और उसके बाद जब मॉनसून फिर से एक्टिव होगा तो बुवाई की योजना बनानी होगी.
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कई हेक्टेयर में लगी फसल बर्बाद
कृषि विभाग के अनुसार अमरावती जिले में मॉनसून के पहले यानी 5 मई से 21 मई तक हुई बारिश से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. यहां पर 12,295 हेक्टेयर में लगी फसल बर्बाद हो गई है जिसमें मूंग, प्याज, ज्वार, केला और संतरे जैसी अहम फसलें शामिल हैं. इसके बाद जलगांव और नासिक जिले में किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ. यहां पर 4500 हेक्टेयर में लगी मक्का, ज्वार, कई सब्जियों, बाजरा, प्याज, केला, पपीता की फसलें बारिश से चौपट हो चुकी हैं. प्री-मानसून ने नासिक के 12 तालुका को नुकसान पहुंचाया है. यहां 3100 हेक्टेयर की फसल बर्बाद हो चुकी है जिसमें अनार और आम की फसलें भी शामिल हैं.
इसी तरह से अहिल्यानगर में 1146 हेक्टेयर, जालना में 1726, हेक्टेयर, बुलढाणा में 2758 हेक्टेयर, चंद्रपुर में 1220 हेक्टेयर में खड़ी फसलें पूरी तरह से पानी में डूब गईं. इसके अलावा गोंदिया, गढ़चिरौली, नागपुर, वर्धा, वाशिम, यवतमाल, हिंगोली और नांदेड़ समेत राज्य के कुछ और खास जिलों का भी यही हाल है.
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