कम जमीन वाले किसानों के लिए वरदान है सहफसली खेती, जानिए केले की फसल के साथ किस फसल की करें खेती

सहफसली खेती

सहफसली खेती का मतलब है एक ही खेत में एक साथ दो या अधिक फसलें उगाना. इसमें मुख्य फसल की पंक्तियों के बीच जल्दी बढ़ने और पकने वाली सहफसलें बोई जाती हैं. रबी या खरीफ के मौसम में मुख्य फसलों के साथ सहफसलें लगाने से न केवल कुल उत्पादन में वृद्धि होती है, बल्कि विपरीत परिस्थितियों में नुकसान की संभावना भी कम हो जाती है.

लेकिन सहफसली खेती करते समय किसानों को कुछ बातों का ध्यान देना चाहिए जैसे कि एक फ़सल की छाया दूसरी पर न पड़े. दोनों फ़सलें एक ही जाति की न हों. इसके अलावा दोनों फ़सलों का ज़मीन में पोषक तत्वों का इस्तेमाल करने का स्तर अलग-अलग हो. जैसे केले की फसल को मिट्टी में मौजूद नमक की ज़रूरत नहीं होती तो हम ऐसा करें कि केले के साथ उस फसल की खेती करें जिनको नमक की ज़रूरत होती है जैसे की प्याज़ और लहसुन.

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केले के साथ प्याज़ और लहसुन की सहफ़सली खेती
हम बात करेंगे केले के साथ सहफ़सली खेती की. अगर किसी किसान के पास जमीन कम है, तो वह केले और प्याज की सहफसली खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकता है. जरूरी नहीं कि आप सिर्फ प्याज ही उगाएँ, इसके बजाय लहसुन जैसी फसलें भी ले सकते हैं. मतलब ये कि केला 11-12 महीने की फसल है ऐसे में किसानों को सहफ़सली खेती के रूप में उसी फसल को लेना चाहिए जो 2 से 3 महीने में तैयार हो जाये, केले की पौध बड़े होने से पहले.
इसके अलावा किसान चाहें तो आलू के साथ राई, आलू और गेहूँ, गेहूं, मटर, और धनिया, अरहर और उर्द/मूंग, केले और हल्दी की सहफ़सली खेती.

केले के साथ प्याज या लहसुन की खेती करते समय किसानों को कुछ बातों पर ध्यान देने की जरूरत है, जानने के लिए वीडियो देखें देखिए वीडियो –

Pooja Rai

पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।

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