मेरठ(उत्तर प्रदेश)। “ये जो मेरा पुश्तैनी घर है करीब 250 गज का है, मैंने इसमें 3 चैंबर बनवाये हैं, जिसमें बटन मशरुम की खेती करता हूं, हर रोज करीब 100-125 किलो माल निकलता है, जिससे मुझे खर्चा निकालकर महीने में करीब एक लाख रुपए की बचत हो जाती है। ” अपने 100 साल पुराने घर में उगे मशरुम को दिखाते हुए मेरठ के रक्षित मित्तल कहते हैं।
रक्षित मित्तल (30 वर्ष) उत्तर प्रदेश के मेरठ में जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर चिंदौड़ी खास गांव में रहते हैं। यहीं पर पिछले 3 वर्षों से बटन मशरुम की खेती कर रहे हैं, जिसे वो मेरठ और दिल्ली की मार्केट में बेचते हैं।
“मैने एम.कॉम तक पढ़ाई की है। पढ़ाई के बाद नोएडा में जॉब भी की। कोविड लॉकडाउन में नौकरी छूट गई। युट्यूब पर मशरूम के खेती से सम्बंधित कई वीडियो देखे, मुझे लगा ये मैं भी कर सकता हूं।”
राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 1,25,000 टन मशरुम का उत्पादन होता है। मशरुम में प्रोटीन, विटमिन्स, फाइबर जैसे कई प्रकार के पोषक तत्व पाये जाते हैं, जो शरीर को कई प्रकार की बीमारियों से बचाते हैं। इसमें प्रोटीन की मात्रा 30 से 35 प्रतिशत तक होती है।
50 लाख में बनवाए, 3 एसी चेंबर
रक्षित के मुताबिक उनका घर करीब 100 साल पुराना है, बाहर की दीवारें पर आज भी प्लास्टर नहीं है। घर में थोड़ा बदलाव के बाद उन्होंने वातानुकूल चैंबर बनवाए हैं वे बताते हैं, “चैम्बर बनवाने में 50 लाख रुपये लागत आई है। मशरुम की खेती के अनुकूल तापमान के लिए तीन बड़े एसी लगवाए हैं , जिससे चैम्बर का तापमान 16-17 डिग्री बना रहता है। एक एसी की कीमत 3 लाख रुपए थी”
प्रतिदिन 100 से 125 किलो उत्पादन
रक्षित आगे बताते हैं “हम चैम्बर से रोज 100 से 125 किलो मशरुम निकालते हैं। पूरे साल हमारे यहां माल निकलता है। मशरुम की पैकिंग चैम्बर में होती है। जिसके बाद मेरठ की मंडी में बेचते हैं, कभी-कभी दिल्ली भी भेजते हैं। अभी हमें बाजार में 125 से 150 रुपये किलो का भाव मिल रहा है।”
रक्षित के मुताबिक स्टार्टप की शुरुवात में काफी खर्च आया लेकिन उसके बाद कोई बड़ा खर्च नहीं आता। कंपोस्ट, बिजली का बिल और स्पॉन मुख्य खर्चा होते हैं। स्पॉन दूसरी कम्पनियों से खरीदे जा सकता है। रक्षित अभी बाजार से तैयार की गई कम्पोस्ट लेते हैं और उसी से मशरुम उगाते हैं।
पहले साल हुआ नुकसान
रक्षित के मुताबिक शुरुवात में अनुभव की कमी के चलते उन्हे लगभग 6 लाख रुपये का नुकसान हुआ लेकिन उन्होने हार नही मानी। बाजार में उन्हे खराब गुणवत्ता वाला कोकोपिट और कम्पोस्ट मिल गया जिससे पैदावार अच्छी नही हुई।
बैंक में बनवाई 8.5 लाख की लिमिट
स्टार्टअप की की शुरुवात के लिए रक्षित ने बैंक से क्रेडिट लिमिट बनवाकर 8.5 लाख रुपये लिए और अपनी बचत लगाई है। उन्हे सरकार की तरफ से कोई मदद नही मिली है।
युवा किसान के मुताबिक वे अभी महीने में 1 लाख से 1.25 लाख रुपये की बचत कर लेते हैं। उन्होंने गांव के कई लोगों को रोजगार भी दिया है। रक्षित उन युवाओं के लिए प्रेरणा हैं जो अपने गांव घर में रहकर ही कुछ करना चाहते हैं।
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