कर्नाटक के आम उत्पादक किसानों को मिली राहत, 2.5 लाख मीट्रिक टन आम के भाव के अंतर की राशि दोनों सरकारें देंगी

कर्नाटक

कर्नाटक में आम के घटते बाज़ार मूल्य जैसी स्थिति में भी किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने महत्त्वपूर्ण निर्णय लिया। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कर्नाटक के कृषि मंत्री चेलुवरायस्वामी से इस विषय में विस्तार से चर्चा की। लगभग ढाई लाख मीट्रिक टन आम के भाव के अंतर की राशि किसानों को देने पर सहमति बनी है। यह राशि केंद्र एवं राज्य सरकार मिलकर देंगी।

आपको बता दें कि इससे पहले कर्नाटक सरकार ने भारत सरकार के पास एक प्रस्ताव भेजा था कि उनके यहां टमाटर और आम खासकर तोतापुरी, इन दोनों की कीमतें लगातार कम हो रही है।  इसके संदर्भ में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह और कर्नाटक के कृषि मंत्री की आपस में चर्चा हुई। कर्नाटक राज्य द्वारा प्रस्तावित उनके आम उत्पादन लगभग 10 लाख मीट्रिक टन में से 2.50 लाख मीट्रिक टन तक की मात्रा के अंतर के राशि देने पर बात हुई।

ये भी पढ़ें-ट्रैक्टर चालित प्लास्टिक मल्च लेयर-कम-प्लांटर’ की विशेषताएं जानें

खबर है कि तोतापुरी आम के भाव किसानों को सामान्य से काफी कम मिल रहे है, तो वर्चुअल बैठक में यह तय हुआ कि किसानों को सामान्य से कम जो भी कीमत मिलती हैं, उसका जो भावांतर है, वह केंद्र सरकार की योजना के तहत आधा-आधा केंद्र और राज्य सरकार वहन करेगी।

टमाटर का रेट अब सही
इस चर्चा के दौरान कर्नाटक के कृषि मंत्री ने बताया कि टमाटर के जो रेट कम हो रहे थे, वह स्थिति प्रस्ताव भेजते समय थी, लेकिन अभी टमाटर के रेट ठीक हुए हैं, तो इस संबंध में अभी कुछ करने की जरूरत नहीं है. कर्नाटक के कृषि मंत्री चेलुवरायस्वामी ने आम उत्पादक किसानों को राहत देने के फैसले के लिए केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह को धन्यवाद दिया है.

8 से 10 लाख मीट्रिक टन उत्पादन का अनुमान
कर्नाटक की प्रमुख बागवानी फसलों में से एक आम की बागवानी लगभग 1.39 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है।और इस रबी सीजन में इसका उत्पादन 8 से 10 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है, खास तौर पर बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु शहरी, चिक्काबल्लापुरा, कोलार और बेंगलुरु दक्षिण जिलों में। मई से जुलाई के बीच फसल की सबसे अधिक पैदावार के महीनों के दौरान बाजार में कीमतों में काफी उतार-चढ़ाव होता है। बाजार में कीमतें, जो पहले 12,000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास थीं, अब गिरकर 3,000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं, जबकि कर्नाटक राज्य कृषि मूल्य आयोग ने खेती की लागत 5,466 रुपये प्रति क्विंटल की सिफारिश की है। उत्पादन लागत और बाजार प्राप्ति के बीच इस असंतुलन ने कृषक समुदाय को गंभीर वित्तीय तनाव में डाल दिया है।

ये देखें –

Pooja Rai

पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *