महाराष्ट्र: 1972 में वर्धा परियोजना के लिए जमीन देने वाले किसानों को 51 साल से मांगे पूरे होने का इंतजार

Wardha Upper Dam Project affected farmers protest at Mantralaya building in Mumbai

वर्धा, अमरावती और नागपुर के 42 गांवों को लेकर 1972 में वर्धा परियोजना शुरु हुई। किसानों के मुताबिक उन्हें न उचित मुआवजा मिला न, वादे पूरे किए गए। प्रभावित किसान 103 दिन के प्रदर्शन के बाद मुंबई में स्थित मंत्रालय भवन में अपनी आवाज उठाने पहुंच गए। 

अमरावती जिले की मोर्शी तहसील के बाहर किसान 103 दिनों से प्रदर्शऩ कर रहे थे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। फोटो-साभार, किसान

चेतन बेले, वर्धा, न्यूज पोटली

वर्धा (महाराष्ट्र)। 29 अगस्त को मुंबई में स्थित महाराष्ट्र सरकार के मुख्यालय “मंत्रालय” में दोपहर बाद अचानक हंगामा हो खड़ा होगा। बहुमंजिला इमारत में लोगों की सुरक्षा के लिए लगाए गए सुरक्षा जाल पर कुछ लोग कूद गए थे और अपने हाथों में बैनर-पोस्टर लेकर हमें न्याय दो.. हमें न्याय दो के नारे लगे थे। जिस वक्त ये हंगामा हुआ कई मंत्री अपने केबिन थे। ये महाराष्ट्र में वर्धा और अमरावती जिले के किसान थे जो 103 दिनों के धरने के बावजूद सुनवाई न होने से हताश होकर 700 किलोमीटर दूर मंत्रालय पहुंचे थे।

साल 1972 में अमरावती जिले की मोर्शी तालुका में वर्धा, अमरावति और नागपुर के 42 गांवों की जमीनों का अधिग्रहण का अपर वर्धा परियोजना की शुरुआत की गई। किसानों का आरोप है कि जिस वादे के साथ उनसे जमीनों का अधिग्रहण किया गया था वो पूरे नहीं किए गए। किसानों के मुताबिक सरकार ने ना ही उचित मुआवजा दिया और न ही प्रकल्पग्रस्त किसानों को सरकारी नौकरी देने का वादा पूरा किया गया। इसके साथ ही ऊपरी वर्धा बांध के दरवाजे खोले पर आसपास के गांवों की करीब 100 एकड़ जमीन बाढ़ से ग्रस्त हो जाती है। मोसंबी, सोयाबीन से लेकर खरीफ की दूसरे फसलें डूब जाती हैं। इसके साथ ही उनके कुएं, सिंचाई की मोटर आदि बर्बाद हो जाती हैं।

अपनी मांगों को लेकर किसान 15 वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं लेकिन पिछले 103 दिनों सैकड़ों किसान मोर्शी तहसील में आंदोलन कर रहे थे, लेकिन स्थानीय स्तर पर कोई कार्रवाई न होने पर सैकड़ों किसान करीब 700 किलोमीटर दूर मुंबई पहुंचे और मंत्रालय भवन में प्रदर्शन कर सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाई। प्रदर्शन के बाद कई किसानों को पुलिस ने हिरासत में लिया।

मंत्रालय में किसानों के हंगामे के बाद किसान प्रतिनिधियों और अधिकारियों के साथ बैठक करते सीएम एकनाथ शिंदे।

इस हंगामे के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने वर्धा परियोजना के प्रभावित किसानों के प्रतिनिधियों के बाद बैठक के बाद कहा कि, 15 दिनों में इस संबंध में सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा। प्रभावित गांवों की जमीनों, पुर्नावास परियोजना को लेकर संबंधित विभागों से रिपोर्ट मांगी गई है।” मुख्यमंत्री ने किसानों की मांगों के संबंध में डेटाबेस तैयार करने के निर्देश दिए हैं।

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