मध्यप्रदेश: किसानों ने क्यों निकाली लहसुन की अर्थी?

मध्यप्रदेश

मध्यप्रदेश के किसानों को इस बार लहसुन की बुवाई में बड़ा नुकसान हुआ है। ऊटी लहसुन के भाव लगातार गिरने से एक तरफ जहां किसान परेशान हैं। दूसरी तरफ इस पर राजनीति भी शुरू हो गई है। मंदसौर में कांग्रेस ने प्रदर्शन किया। कांग्रेस कार्यकर्ताओं और किसानों के साथ मिलकर लहसुन अर्थी निकाली और उस पर कफन डालकर श्रद्धांजलि दी।

कांग्रेस नेताओं ने लहसुन का भाव गिरने के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। मल्हारगढ ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा कि, किसानों को बीजेपी सरकार में लहसुन समेत दूसरी फसलों के वाजिब दाम नहीं मिल पा रहे हैं। अनिल शर्मा का आरोप है कि, सरकार की मिलीभगत से ही चीन का लहसुन अफगानिस्तान के रास्ते भारत आ रहा है। इस वजह से यहां के किसानों अपने यहां के लहसुन का वाजिब दाम नहीं मिल पा रहा है। मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के संयुक्त सचिव मुकेश निडर ने कहा की, बीजेपी सरकार की गलत आयात निर्यात नीतियों के कारण आज लहसुन समेत दूसरी फसलों का लागत मूल्य भी किसानों को नही मिल पा रहा है।

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4-6 हजार रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा लहसुन
आपको बता दें कि मल्हारगढ़ में इस बार कई किसानों ने ऊटी और देसी लहसुन की बुवाई की। किसान प्रहलाद पाटीदार के मुताबिक उन्होंने 14 क्विंटल ऊटी लहसुन, 50 हजार रुपये क्विंटल में बीज लाकर सात बीघा में बुवाई की थी। उनको बीज का खर्च 7 लाख रुपये और जुताई-बुवाई का खर्च के साथ रखरखाव का खर्च 3.5 लाख रुपये तक आया। इस तरह कुल खर्च 10.5 लाख रुपये तक आया। इस बार लहसुन महज 4-6 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक ही बिक रहा है। जिसकी वजह से बड़ा नुकसान हो रहा है। किसान के मुताबिक उसने कर्ज लेकर बुवाई की थी, और अब इतनी लागत भी नहीं निकल पा रही है कि, वो अपना कर्ज चुका पाए। वाजिब दाम नहीं मिल पाने से किसान परेशान है।

पिछले साल 50 हजार रुपये प्रति क्विंटल बिका था लहसुन
इलाके के दूसरे किसान बाबुखा मेवाती ने बताया कि, उन्होंने 10 बीघा में उंटी और देसी लहसुन की बुवाई की थी। उनका उटी लहसुन मंडी में महज 4800 रुपये क्विंटल के ही भाव बिका। ऐसे में उनकी बुवाई की लागत तक नहीं निकल पाई। मुनाफा तो दूर की बात है। किसानों का कहना है कि जो लहसुन पिछले साल 50 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक बिका, वो इस बार सिर्फ 5 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रहा है।

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