धार (मध्य प्रदेश)। “जब हमने शुरुवात की थी हमारे पास साईकिल भी नहीं थी। गरीबी के चलते किताबी ज्ञान में पीछे रह गए। बीता कल संघर्षों से भरा रहा है। वो काफी बुरा दौर था,आर्थिक तंगी ने उन्हें आगे पढ़ने नहीं दिया। बीए की पढाई के दौरान किराया न होने के कारण पेपर भी नहीं दे पाया ।” मध्य प्रदेश के धार जिले के सात तलाई गांव में केले की खेती करने वाले संतोष बताते हैं।
केला एक ऐसा फल है जिसकी मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है। देश के कई राज्यों में इसकी खेती होती है। वर्तमान समय में कुछ किसान इसकी खेती पारम्परिक तरीके से कर रहे हैं जबकि कुछ किसान इसकी खेती में तकनीकि का प्रयोग करके अच्छा उत्पादन ले रहे हैं। तकनीक से तरक्की सीरीज में मिलिए मध्य प्रदेश का धार जिले के किसान संतोष लछेटा से जो केले की खेती में नई तकनीक का प्रयोग करके अच्छा उत्पादन ले रहे हैं। उन्होंने वर्ष 2016 में पांच एकड़ क्षेत्रफल में केले की खेती की और उसको 24 लाख में बेचा। सबसे खास बात पहली बार में ही केला ईरान में निर्यात भी किया।
संतोष के मुताबिक अब उनको लगता है कि ईश्वर ने उन्हें खेती करने के लिए ही बनाया था। मिट्टी की तैयारी से लेकर,एक्सपोर्ट क्वालिटी केला उगाने के लिए वो टेक्नालाजी के साथ चलते हैं। फिर चाहे बेदाग केलों के लिए बीआई करना हो या फिर फ्लोरेट निकालना होगा। हमारी पोटली में सभी हाईटेक टूल्स मौजूद हैं।
संतोष ने आगे बताया वे सिर्फ खुद आगे नहीं बढ़ रहे हैं। वो अपने साथ तमाम किसानों का कारवां भी लेकर चल रहे हैं। मध्य प्रदेश के बहुत से युवा किसान उनसे खेती के गुर सीख रहे हैं। वे दूसरे राज्यों के किसानों को भी केले की खेती के गुर सिखाते हैं।
संतोष आभार जताते हुए कहते हैं जिनकी वजह से उन्हें ये मुकाम मिला। खेती की जिस तकनीक से मेरी तरक्की हुई। वो हर किसान तक पहुंचे यही मेरी कामना है।
केला उत्पादन में भारत पहले नंबर पर
भारत दुनिया का सबसे बड़ा केला उत्पादक देश है। औसतन 9 लाख हेक्टयेर केले की खेती होती है, 31-35 मिलियन टन का उत्पादन होता है। यहां एक बात सबसे ज्यादा गौर करने वाली है पूरी दुनिया के केला उत्पादन में भारत की भागीदारी करीब 27 फीसदी है। लेकिन पूरे विश्व के निर्यात में हमारी हिस्सेदारी महज 1 फीसदी है।