पंजाब में पराली प्रबंधन कृषि यंत्रों की ख़रीद के लिए मिलेगा लोन, राज्य के ज़िला सहकारी बैंकों की 802 शाखाओं में योजना शुरू

पंजाब में पराली जलाने की घटना को रोकने के लिए राज्य सरकार ने बड़ा फैसला किया है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए एक नई स्कीम फसल अवशेष प्रबंधन लोन योजना शुरू की है। इसके तहत किसान अब फसल अवशेष प्रबंधन मशीनें खरीदने के लिए राज्य सहकारी बैंकों से लोन ले सकेंगे।जिला सहकारी बैंकों की 802 शाखाओं में योजना शुरू।


उत्तर भारत में मुख्यतः पंजाब में पराली प्रबंधन आज भी किसानों के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई है। पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकार तरह तरह से किसानों को जागरूक करने की कोशिश कर रही है। बिना पराली जलाये बुवाई करने के लिए कृषि यंत्रों पर सब्सिडी भी दे रही हैं। ताकि ज़्यादा से ज़्यादा किसान पराली प्रबंधन कर सकें। राज्य में किसानों को पराली अवशेष प्रबंधन में राहत मिले इसके लिए सहकारी बैंकों ने फसल अवशेष प्रबंधन के लिए ऋण योजना शुरू की है। इस योजना का लाभ प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां(PACS) और कस्टम हायरिंग सेंटर(CHC) को मिलेगा।

योजना के तहत पराली प्रबंधन कृषि यंत्रों की खरीद पर इन संस्थानों को 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी का लाभ दिया जा रहा है। इसके साथ ही प्रगतिशील किसानों को बेलर और सुपर सीडर सहित फसल अवशेष प्रबंधन के लिए कृषि यंत्रों की खरीद पर 50% की सब्सिडी दी जाएगी।जो भी किसान या कृषि संस्थाएं इसके तहत लोन लेती हैं उन्हें लोन चुकाने के लिए पांच वर्ष का समय दिया जाएगा।


किसानों के लिए आसान बनाई जाएगी प्रक्रिया
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि इसका उद्देश्य किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए मशीनरी खरीदने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से ऋण उपलब्ध कराना है ताकि धान की पराली को जलाने के कारण होने वाले पर्यावरण प्रदूषण को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि यह योजना चंडीगढ़ में राज्य सहकारी बैंक और जिला सहकारी बैंकों की 802 शाखाओं के माध्यम से शुरू की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान आसान प्रक्रिया के तहत इस योजना के जरिए लोन का लाभ उठा सकते हैं।

हरियाणा में पराली जलाने के मामले में गिरावट
हरियाणा में पराली जलाने के मामले में गिरावट आई है। 15 सितंबर से 6 अक्टूबर के बीच प्रदेश में पराली जलाने के कुल 127 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें से 84 फीसदी घटनाएं सिर्फ 7 जिलों में सामने आई हैं।भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल इसी अवधि के दौरान हरियाणा में पराली जलाने के 190 मामले सामने आए थे। लेकिन साल 2022 और 2021 में पराली जलाने की घटनाएं क्रमशः 48 और 24 दर्ज की गई थीं। खास बात यह है कि इस साल इन 127 मामलों में से 107 मामले सात जिलों में हुए है। करनाल में सबसे अधिक 37 आग लगने की घटनाएं हुईं। इसके बाद कुरुक्षेत्र, कैथल, अंबाला, फरीदाबाद, सोनीपत और यमुनानगर मामले सामने आए हैं।

हरियाणा के किसानों के पास करीब 90,000 मशीनें
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, विशेषज्ञों का कहना है कि हरियाणा, पंजाब और यूपी में अक्टूबर से नवम्बर महीने के दौरान ज्यादा रबी फसलों की बुवाई की जाती है। ऐसे में इस दौरान पराली जलाने के ज्यादा मामले सामने आने की आशंका है।
रिपोर्ट के मुताबिक़ सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी ने कहा है कि सरकार ने खेतों में पराली जलाने की घटनाओं को कम करने के लिए कदम सही उठाए हैं, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि अभी और भी कदम उठाए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें पराली जलाने की घटनाओं को खत्म  करने के लिए किसानों को सब्सिडी दे रही हैं। लेकिन इसके बावजूद भी कुछ और उपाय किए जाने की जरूरत है। हरियाणा में किसानों को अपनी जमीन की जुताई में मदद करने के लिए करीब 90,000 मशीनें हैं। अगर किसान चाहें, तो इन मशीनों से पराली प्रबंधन कर सकते हैं।
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