कम संसाधन, अधिक उत्पादन: एरोपोनिक्स खेती का नया युग

एरोपोनिक्स खेती का नया युग

एरोपोनिक्स खेती में मिट्टी की जगह पोषक धुंध का इस्तेमाल होता है, जिससे कम संसाधनों में अधिक और तेज उत्पादन मिलता है। यह तकनीक पूरे साल खेती को संभव बनाती है और शहरों व छोटे क्षेत्रों में भी आसानी से लागू की जा सकती है। साथ ही, एग्री-स्टार्टअप शुरू करने के लिए यह युवाओं के लिए बेहतरीन अवसर है।

एरोपोनिक्स आधुनिक कृषि की वह तकनीक है, जिसने कम संसाधनों में अधिक उत्पादन का नया रास्ता खोल दिया है। इस तकनीक में पौधों को मिट्टी की जरूरत नहीं होती, बल्कि उनकी जड़ों पर पोषक तत्वों वाली हल्की धुंध (मिस्ट) लगातार डाली जाती है। इससे पौधों को भरपूर ऑक्सीजन और पोषण मिलता है, जिसके कारण उनकी वृद्धि सामान्य खेती की तुलना में दोगुनी तेजी से होती है। एरोपोनिक्स का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें पानी, जमीन और खाद जैसी चीजों की खपत बेहद कम होती है, जबकि उत्पादन काफी अधिक मिलता है, जिससे किसानों का खर्च घटता है और मुनाफा बढ़ता है।

क्या फायदा ?
इस तकनीक का दूसरा प्रमुख फायदा यह है कि इसमें मौसम, मिट्टी या बाहरी परिस्थितियों पर निर्भरता नहीं रहती। ग्रीनहाउस या छोटी संरचनाओं में इसे आसानी से स्थापित किया जा सकता है, जिसके कारण पूरे साल खेती करना संभव हो जाता है। चाहे तेज गर्मी हो, बारिश हो या ठंड एरोपोनिक्स में पौधों की वृद्धि पर कोई असर नहीं पड़ता। यही वजह है कि यह तकनीक शहरों, छोटे क्षेत्रों और सीमित जगह वाले किसानों के लिए भी एक बेहतरीन विकल्प बनकर उभरी है। छत, बालकनी, कमरे या कम जगह में भी बड़े स्तर पर फसल उत्पादन किया जा सकता है।

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स्टार्टअप शुरू करने के लिए बेहतरीन अवसर
एरोपोनिक्स न सिर्फ कृषि उत्पादन बढ़ाता है बल्कि युवाओं के लिए स्टार्टअप शुरू करने का भी शानदार अवसर बन गया है। आधुनिक तकनीक पर आधारित यह मॉडल प्रीमियम सब्जियों की खेती, सुपरमार्केट सप्लाई, रेस्तरां चेन, फार्म-टू-टेबल जैसे कई बिज़नेस रूपों में तेजी से फैल रहा है। इस तकनीक से उगाई गई सब्जियां कीटनाशक-मुक्त होती हैं और बाजार में महंगी बिकती हैं, इसलिए इनकी मांग लगातार बढ़ रही है।

खेती का भविष्य
कुल मिलाकर एरोपोनिक्स खेती का भविष्य है। कम पानी, कम जगह और कम लागत में अधिक और बेहतर उत्पादन। पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छ भोजन, आधुनिक खेती और कम लागत के साथ अधिक मुनाफा। इन सभी जरूरतों को पूरा करने वाली यह तकनीक आने वाले समय में खेती का सबसे मजबूत आधार बनने जा रही है।

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Pooja Rai

पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।

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