23 अगस्त को भारत अपना अंतरिक्ष दिवस मनाएगा. इससे ठीक पहले देश की केंद्र सरकार ने सेटलाइट्स की मदद से देश के किसानों को एक ऐसी तकनीक (कृषि DSS) देने का फैसला किया है जो किसानों के लिए खेती में आसानी बनेगा. दिल्ली के भारत मंडपम में केंद्र सरकार के इस आयोजन देश के कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी मुख्य अतिथि थे. उनके साथ में देश के कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे.
क्या है कृषि DSS?
कृषि DSS यानी कृषि डिसीजन सपोर्ट सिस्टम. ये कई स्तरों पर किसानों और वैज्ञानिकों को देश की खेती के बारे में सटीक डेटा देगा. कृषि मंत्रालय ने एक प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि इसकी मदद से खेतों के सेटेलाइट चित्र, मौसम की जानकारी, जलाशयों में पानी की स्थिति और यहाँ तक कि ग्राउंड वाटर लेवल का भी पता लगाया जा सकेगा. इसके साथ साथ क्रॉप मैपिंग और मॉनिटरिंग और बाढ़-सूखे के मूल्यांकन के लिए भी ये तकनीक सहायक सिद्ध होगी. देश में पहले से ऐसे कई उपक्रम हैं जो सेटेलाइट की मदद से देश के कृषि क्षेत्र में अपना योगदान दे रहे हैं. मंत्रालय का कहना है कि DSS आने के बाद इसमें और इजाफा होगा. कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक ऐप लॉन्च किया है जो किसानों को अपनी फसल में लगे कीट से छुटकारा दिलाने में मदद करेगा. अपने फोन से कीट लगे फसल की फोटो खींच के उसे ऐप पर अपलोड करते ही किसानों को उन कीटों और उनके इलाज की सारी जानकारी मिल जाएगी.
कैसे बनाया गया है ये सिस्टम?
दरअसल, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और अंतरिक्ष विभाग ने इस सिस्टम को भू-प्रेक्षण उपग्रह-04 यानी EARTH OBSERVATION SATELLITE- 04 (री-सैट-1ए) और वेदाज की मदद से इस सिस्टम को तैयार किया है. ये प्रणाली इसरो के मोसडेक और भुवन के साथ तो कनेक्टेड ही रहेगी लेकिन इसके साथ साथ इसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सिस्टम के साथ भी जोड़ा जाएगा ताकि जो भी डेटा सेटेलाइट्स की मदद से आए, वो सीधे कृषि विभाग के जिम्मेदारों तक पहुँच सके और फिर उसी अनुसार काम किया जा सके.
किसानों को मिलेंगे ये फायदे
मंत्रालय का दावा है कि इस सिस्टम से कृषि क्षेत्र की ताकत बढ़ेगी ही, किसानों की आय को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी, इसलिए ये तकनीक कृषि क्षेत्र के साथ-साथ पूरे देश के लिए फायदेमंद है. मौसम के सटीक पूर्वानुमान के हिसाब से जब किसान खेती और फसल का चुनाव करेंगे तो ये उन्हें अपना उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने में मदद करेगी. और इसी से एक्सपोर्ट के अवसर भी बढ़ेंगे. मंत्रालय ने कृषि DSS के बारे में अपने प्रेजेंटेशन में कहा कि ये सिस्टम किसानों को ये बताने में मददगार साबित होगा कि किस वक्त कौन सी फसल बोई जाए. जगह और जमीन के हिसाब से जब किसान खेती करेंगे, तभी वो बड़े मुनाफे की ओर बढ़ेंगे. इसके अलावा आने वाली आपदाओं, फसल में लगने वाले रोगों का पहले से पता लगाने में भी ये सिस्टम किसानों का मददगार बनेगा.
मंत्रालय ने बताया कि ये सिस्टम ऐसा है जो रौशनी पर निर्भर नहीं है, बल्कि अंधेरे में भी अंतरिक्ष से हाई रिजॉल्यूशन पिक्चर्स ले सकता है. इस सेटेलाइट से मिले डाटा के आधार पर कृषि, पर्यावरण, जल संसाधन और आपदा प्रबंधन के लिए नया सिस्टम डेवलप करने में मदद करेगा. इसका सीधा फायदा छोटे किसानों को ज्यादा होगा, क्योंकि कम जमीन में खेती करने वाले इन किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ता है. समय से पहले जोखिमों को समझकर अगर किसान सतर्क हो जाएंगे तो इससे फसल की सुरक्षा तो सुनिश्चित होगी ही, अच्छी पैदावार और आय बढ़ाने में भी मदद मिलेगी.
अगला कदम क्या?
मंत्रालय ने कहा कि हम यहीं नहीं ठहरेंगे, अभी हमारा उद्देश्य कृषि क्षेत्र में तकनीक और इनोवेशन्स के नए नए प्रयोगों को जारी रखेंगे. कृषि राज्य मंत्री ने कहा कि हमारा अगला कदम कृषि में ड्रोन के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करना है. कई ऐसी फसलें हैं और ऐसे खेत, जहां देख रेख तो दूर की बात है, किसानों के लिए उनकी सिंचाई भी मुश्किल हो जाती है. ऐसे इलाकों में ड्रोन से सिंचाई की जा सकती है और हम इस पर काम कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि हमारा पूरा प्रयास है कि देश भर में कृषि उत्पादन बढ़े और इसके साथ साथ कृषि उत्पादों की सेल्फ लाइफ कैसे बढ़ेगी, हम इस पर भी काम कर रहे हैं.