चौधरी चरण सिंह भारत के किसान राजनेता एवं पाँचवें (28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक) प्रधानमंत्री थे। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन किसानों के हित में समर्पित कर दिया था। वो हमेशा किसानों को देश के प्रगति से जोड़ते थे और कहते थे कि किसानों को एक नजर हल पर, दूसरी नजर दिल्ली पर रखना चाहिए मतलब वो किसानों को भी राजनीतिक रूप से सक्रिय और अपने देश की राजनीति के प्रति जागरुक रहने के लिये बोला करते थे ताकि किसान अपनी फसल के साथ-साथ सरकार के फ़ैसलों को भी जाने और समझे।
चौधरी चरण सिंह किसानों के हितों के लिये इतना कुछ कहते और करते थे इसीलिए हमारे देश में उनका जन्मदिवस 23दिसंबर को ‘किसान दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है।
किसानों के हित में चौ. चरण सिंह की राजनीति
आज के डेट में कोई भी ऐसी पार्टी नहीं बची है जो किसानों का प्रबोधन करे और किसानों को सही चीजें बता सके और उनके हीत के लिये राजनीति कर सके। जबकि चौधरी जी की राजनीति में किसानों का मुद्दा सबसे आगे हुआ करता था इसीलिए तो वो भारत के किसानों के नेता व प्रधानमंत्री के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने हमेशा किसानों को राजनीतिक होने की सलाह दी, क्यूंकि उनका कहना था कि राजनीति के बिना किसानों के सवालों का समाधान नहीं मिलेगा और अगर देश के 60 प्रतिशत लोगों का संगठन राजनीति नहीं करेगा तो कौन करेगा?
आज चौधरी जी होते तो क्या कहते
आज अगर चौधरी जी होते तो किसानों को दिल्ली के साथ-साथ अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन और विश्व व्यापार संगठन(WTO) का हेडक्वर्टर जेनेवा पर भी नज़र रखने को कहते शायद, क्यूंकि सभी नीतियां विश्व व्यापार संगठन में तय हो रही हैं, और हमारी सरकार भी उन्हीं नीतियों को लागू कर रही है। हमारे देश के किसानों को दुनिया का बाजार कैसे मिलेगा? वो शायद इस पर भी बात करते।