जापानी फल: सेहत से भरपूर परसीमन फल की खेती कब और कैसे करें?

कुल्लू/कश्मीर। भारत में एग्जॉटिक फलों की मांग तेजी से बढ़ रही है, इसलिए उन्हें उगाने वाले किसानों को अच्छा फायदा भी हो रहा है। जापानी फल यानि Persimmon Fruit की भारत में खेती तेजी से बढ़ी है। परसीमन जिसे हम जापानी फल भी कहते हैं इस समय भारी डिमांड में है। हिमाचल से लेकर कश्मीर तक के किसान इस फल की बाग़वानी कर अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं।

पहले इस फल की मार्केट में डिमांड कम थी पर अभी के समय में इसकी माँग तेज़ी से बढ़ी है। इसका मुख्य कारण फल के पकने का समय जो अक्टूबर से नवंबर तक का है। इस समय बहुत कम ही फल मार्केट में मिलते हैं, जिससे ख़रीदारों में इसकी माँग काफ़ी बढ़ जाती है।

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में कीवी और सेब के साथ बड़े पैमाने पर जापानी फल की खेती करने वाले किसान अजय महंत न्यूज पोटली को बताते हैं, “ये एक ऐसा फल है, जिसका स्वाद बहुत मीठा होता है। इसमें ज्यादा देखरेख की भी ज़रूरत नहीं होती है और आसानी से 100 रुपए किलो तक का दाम मिल जाता है।” अजय के मुताबिक इस बार भी उनकी बाग में अच्छे फल आए हैं जिन्हें वो अगले 1-2 महीने में हार्वेस्ट कर मार्केट भेजेंगे।

भारत में परसीमन की खेती पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

भारत में परसीमन की खेती लगातार बढ़ रही है। श्रीनगर में स्थित शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (SKUAST) में Fruit Science विभाग के प्रोफेसर और छोटे फलों के विशेषज्ञ डा. अमित कुमार कहते हैं, “भारत में कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखण्ड में इसकी खेती बड़े पैमाने पर हो रही है। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू ज़िले में इसकी बेल्ट काफ़ी अच्छी है। कश्मीर में भी इसका रकबा बढ़ रहा है।”

चीन में होती है सबसे ज्यादा खेती

परसीमन को हम भले ही कहते हैं जापानी है लेकिन इसकी खेती सबसे ज्यादा चीन में होती है। दुनियाभर में जापानी फल की पैदावार में चीन की हिस्सेदारी 75 फीसदी है। जापान, भारत, चीन के अलावा इसकी खेती वियतनाम, थाईलैंड, ब्राजील, उज्बेकिस्तान जैसे देशों में भी होती है। जापानी लोग इसे Divine fruit या Kaki भी बोलते हैं।

प्रसिद्ध क़िस्में : फ़ुयू और हचिया

जापानी फल की 2 मुख्य क़िस्में फ़ुयू और हचिया किसानों और खाने वालों के बीच लोकप्रिय हैं। अजय महंत के मुताबिक इसका फल कुछ कुछ टमाटर की तरह चपटा होता है। पका हुआ जापानी फल बिल्कुल शहद की तरह मीठा होता है।

कब करें रोपाई

जापानी फलों की खेती के लिए इसके पौधों की रोपाई के लिए दिसंबर से जनवरी का महीना अजय महंत उपयुक्त मानते हैं। पौधे लगाने के बाद 3-4 साल में इसमें अच्छे तरीके से फल आने शुरु हो जाते हैं। कुछ किस्मों में दूसरे साल ही फलत देखी गई है। इस फल की शेल्फ लाइफ भी ख़ासी लंबी होती है जिससे इसकी डिमांड और बढ़ जाती है।

परसीमन के लिए उपयुक्त क्लाइमेट

परसीमन टेंपेरेट क्लाइमेट में पनपता है, इस फल कि फ्लावरिंग के समय तापमान 20 से 30 और मैच्युरिटी के समय तापमान 20 ड्रिगी से कम होना चाहिए। यह फल हिमाचल प्रदेश और कश्मीर जैसे उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। इसकी खेती के लिए 800-1200 मिमी मध्यम वर्षा और अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है, जिसका pH 6.0 से 7.5 के बीच बेहतर बोका है। ये परिस्थितियाँ उत्तर भारत के हिमाचल प्रदेश और कश्मीर जैसे उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों को परसीमन की खेती के लिए आदर्श बनाती हैं।

बाज़ार में बढ़ती माँग

जापानी फल की बढ़ती माँग के पीछे की एक वजह ये भी है की यह बेहद कम लागत वाली फसल है इसके फलों को नाममात्र कीटनाशकों की ज़रूरत होती है। हिमाचल और कश्मीर की अनुकूल जलवायु में यह आसानी से हो जाता है। पकने के बाद इस फल का रंग सुनहरा पीला हो जाता है और खाने में इसका स्वाद शहद की तरह मीठा होता है, औसतन इस फल की क़ीमत 100 रुपये प्रति किलो तक जाती है। लेकिन साल 2023 में इसका भाव 150 से 200 रुपये किलो तक गया था।

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