भारत ने गुवाहाटी में मसालों के लिए अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानक तय करने वाले सत्र में नेतृत्व दिखाया। अब तक 16 मसालों के मानक बने हैं और नए मानकों पर चर्चा जारी है। वैश्विक सहयोग से उत्पादक, व्यापारी और उपभोक्ता सभी को फायदा होगा।
भारत ने दुनिया के मसाला उद्योग में अपनी ताकत फिर दिखा दी है। गुवाहाटी में ‘कोडेक्स कमेटी ऑन स्पाइसेज एंड कुलिनरी हर्ब्स (CCSCH)’ के आठवें सत्र के साथ देश ने वैश्विक मसाला व्यापार में अपनी मजबूत स्थिति प्रदर्शित की। इस आयोजन में 27 देशों से 81 प्रतिनिधि शामिल हुए। इसका मुख्य उद्देश्य मसालों और हर्ब्स के लिए एकीकृत अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानक तय करना है।
वैश्विक मसाला बाजार में तेजी
FSSAI के सीईओ राजित पुनहानी ने बताया कि वैश्विक मसाला उद्योग का मूल्य 2024 में 28.5 अरब डॉलर है और 2033 तक यह बढ़कर 41.9 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक और समान वैश्विक मानकों से उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ता है और निष्पक्ष व्यापार को बढ़ावा मिलता है।
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भारत बना मसालों के वैश्विक मानक निर्धारण का केंद्र
स्पाइस बोर्ड की सचिव पी. हेमलता ने बताया कि कोडेक्स मानक वैश्विक खाद्य व्यापार में न्याय, पारदर्शिता और सुरक्षा बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। एकीकृत गुणवत्ता मानक न केवल सुरक्षा और व्यापार की निष्पक्षता सुनिश्चित करते हैं, बल्कि उपभोक्ता विश्वास और बाजार पहुंच को भी मजबूत करते हैं।
तय हुए 16 मसालों के मानक
CCSCH समिति के तहत अब तक काली मिर्च, हल्दी, जीरा, जायफल, इलायची और केसर समेत 16 मसालों के अंतरराष्ट्रीय मानक तय किए जा चुके हैं। इस सत्र में बड़ी इलायची, दालचीनी, सूखा धनिया और स्वीट मजारम के लिए नए मानकों पर चर्चा हो रही है।
वैश्विक सहयोग से सभी को लाभ
इस सत्र में यह सहमति बनी कि मसालों की गुणवत्ता, प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन में देशों के बीच सहयोग होना चाहिए। इससे भारत और दुनिया भर के उत्पादक, व्यापारी और उपभोक्ता सभी को फायदा होगा।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।