भारत ने चावल निर्यात बढ़ाने के लिए 26 देशों को संभावित बाजार के रूप में चुना है, जिनमें इंडोनेशिया, फिलीपींस, वियतनाम और अमेरिका शामिल हैं। दिल्ली में 30-31 अक्टूबर को भारत इंटरनेशनल राइस कॉन्फ्रेंस (BRIC) 2025 आयोजित की जाएगी, जिसमें किसानों, निर्यातकों और विदेशी खरीदारों की भागीदारी होगी। सम्मेलन में ₹25,000 करोड़ के निर्यात समझौते होने की संभावना है।
भारत जल्द ही अपने चावल निर्यात (Rice Export) को नई ऊंचाई पर ले जाने की तैयारी कर रहा है। सरकार ने 26 देशों को ऐसे संभावित बाजारों के रूप में चुना है, जहां भारतीय चावल की बड़ी मांग बन सकती है। इनमें इंडोनेशिया, फिलीपींस, वियतनाम और अमेरिका जैसे देश शामिल हैं। अनुमान है कि भारत इन बाजारों से करीब ₹1.8 लाख करोड़ तक का निर्यात ऑर्डर हासिल कर सकता है।
दिल्ली में होगा “भारत इंटरनेशनल राइस कॉन्फ्रेंस 2025”
इन नए बाजारों पर फोकस करने के लिए भारत सरकार अगले हफ्ते दिल्ली में 30-31 अक्टूबर को दो दिनी भारत इंटरनेशनल राइस कॉन्फ्रेंस (BRIC) 2025 आयोजित करने जा रही है। इसमें दुनिया भर के किसान, निर्यातक, व्यापारी, नीति निर्माता और शोध संस्थान शामिल होंगे।
₹25,000 करोड़ के एमओयू होंगे साइन
भारतीय चावल निर्यातक महासंघ (IREF) के उपाध्यक्ष देव गर्ग ने बताया कि भारत अब उन देशों पर ध्यान केंद्रित करेगा जहां फिलहाल पाकिस्तान और आयरलैंड जैसे देश चावल का निर्यात करते हैं। गर्ग ने कहा —
“इन देशों में हर साल करीब ₹1.8 लाख करोड़ का चावल आयात किया जाता है। भारत के पास ऐसा चावल है जो इन बाजारों की मांग को पूरा कर सकता है।” सरकार के मुताबिक, इस सम्मेलन के दौरान करीब ₹25,000 करोड़ के निर्यात समझौते (MoUs) साइन होने की उम्मीद है।
ये भी पढ़ें – यूपी में 1.54 लाख किसानों ने कराया रजिस्ट्रेशन, खरीद प्रक्रिया तेज
सम्मेलन में दुनिया भर के प्रतिनिधि होंगे शामिल
इस सम्मेलन में 80 से ज्यादा देशों के 1,000 विदेशी खरीदार, करीब 3,000 किसान और एफपीओ, और 2,500 भारतीय निर्यातक व मिलर शामिल होंगे। उद्देश्य है चावल व्यापार में पारदर्शिता, नवाचार और टिकाऊ विकास को बढ़ावा देना।
भारत बना वैश्विक चावल उत्पादन में अग्रणी
भारत ने वर्ष 2024–25 में करीब 150 मिलियन टन चावल का उत्पादन किया, जो दुनिया के कुल उत्पादन का लगभग 28% है। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 2014–15 में औसत उत्पादन 2.72 टन प्रति हेक्टेयर था, जो अब 3.2 टन प्रति हेक्टेयर तक पहुंच गया है।यह सुधार बेहतर बीज, आधुनिक खेती तकनीक और सिंचाई सुविधाओं की वजह से हुआ है।वित्त वर्ष 2024–25 में भारत ने 20.1 मिलियन टन चावल का निर्यात किया, जिसकी कीमत लगभग $12.95 बिलियन रही।
भारत अब चावल निर्यात में नई ऊंचाइयां छूने की तैयारी में है। नए बाजारों की पहचान और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के जरिए भारत का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में वह दुनिया का सबसे बड़ा और भरोसेमंद चावल आपूर्तिकर्ता बने।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।