भारत-अमेरिका व्यापार समझौता करीब, कृषि क्षेत्र पर क्या होगा असर?

भारत-अमेरिका व्यापार समझौता करीब

भारत-अमेरिका के बीच टैरिफ वॉर खत्म होने की संभावना है और जल्द ही ट्रेड डील पर सहमति बन सकती है। अमेरिका चाहता है कि भारत दूध पाउडर, चीज़, सोयाबीन जैसी वस्तुओं पर आयात प्रतिबंध और टैरिफ कम करे तथा GM फसलों की मंजूरी दे। लेकिन भारत अपने किसानों की सुरक्षा के लिए इन मांगों पर सहमत नहीं है, क्योंकि अमेरिकी कृषि उत्पाद सस्ते और सब्सिडी वाले हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि डील से व्यापार में सुधार होगा, मगर किसानों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

भारत-अमेरिका के बीच लंबे समय से चला आ रहा टैरिफ वॉर अब खत्म होने की ओर बढ़ रहा है। दोनों देशों ने हाल ही में संकेत दिए हैं कि जल्द ही एक ट्रेड डील को अंतिम रूप दिया जा सकता है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल आने वाले दिनों में अमेरिका जा सकते हैं और माना जा रहा है कि इस दौरे में सकारात्मक नतीजे सामने आ सकते हैं।

टैरिफ वॉर आखिर है क्या?
दरअसल, अमेरिका ने भारत पर 50% तक टैरिफ लगा रखा है। शुरुआत में यह दर 25% थी, लेकिन रूस से तेल खरीदना जारी रखने पर अमेरिका ने इसे और 25% बढ़ा दिया। इसका सीधा असर भारतीय निर्यात पर पड़ा है। कपड़ा, रसायन, समुद्री भोजन, जेम्स एंड ज्वेलरी और मशीनरी जैसे सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। अगस्त में अमेरिका को भारत का निर्यात घटकर सिर्फ 6.87 अरब डॉलर रह गया, जो पिछले 10 महीनों का न्यूनतम स्तर है।

अमेरिका क्या चाहता है?
वहीं, कृषि और डेयरी सेक्टर को लेकर अमेरिका की अपनी मांगें हैं। अमेरिका चाहता है कि भारत दूध पाउडर, चीज़ और प्रोटीन जैसे उत्पादों पर लगे आयात प्रतिबंधों में ढील दे। इसके अलावा सेब, अखरोट, गेहूं, मक्का और सोयाबीन पर टैरिफ कम किया जाए। सबसे बड़ी मांग है कि भारत जीन-मॉडिफाइड (GM) फसलों पर लगी नियामक बाधाएं हटाए।

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किसान नेता विजय जावंधिया ने क्या कहा?
मगर भारत इन मांगों पर सहमत नहीं है। किसान नेता विजय जावंधिया बताते हैं कि अमेरिकी कृषि उत्पाद बहुत सस्ते और सब्सिडी वाले हैं। अगर भारत ने इन्हें आसानी से प्रवेश दे दिया तो भारतीय किसानों, खासकर छोटे और मध्यम किसानों के लिए यह बड़ी चुनौती बन जाएगी। ऐसे में उनकी उपज अमेरिकी सामान के मुकाबले टिक ही नहीं पाएगी।

व्यापारिक संबंध बेहतर लेकिन किसानों का क्या ?
यानी, एक तरफ टैरिफ वॉर खत्म होने से व्यापारिक संबंध बेहतर होने की उम्मीद है, वहीं दूसरी तरफ यह भारतीय किसानों के लिए नई मुश्किलें भी खड़ी कर सकता है। अब देखना होगा कि भारत सरकार इस ट्रेड डील में किस तरह का संतुलन साधती है। क्योंकि एक ओर विदेशी बाजार और निवेश हैं, तो दूसरी ओर करोड़ों किसानों की आजीविका दांव पर है।

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Pooja Rai

पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।

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