ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने किसानों और पशुपालकों की आय बढ़ाने, पर्यावरण को बचाने और गोबर जैसे पशुधन का भी सही इस्तेमाल करने के लिए 15 राज्यों की 26 मिल्क कोऑपरेटिव के साथ एक समझौता किया गया। नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (NDDB) ने तीन मार्च को नई दिल्ली में डेयरी से जुड़े एक कार्यक्रम के दौरान ये समझौता किया है. रिपोर्ट के मुताबिक बायो गैस के लिए हुए इस समझौत के चलते मिल्क कोऑपरेटिव को तकनीकी, वित्तीय और कार्यान्वयन सहायता दी जाएगी. डेयरी सेक्टर में विकास को बढ़ावा देने के लिए एनडीडीबी और नाबार्ड के बीच समझौता पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
इस दौरान पशुपालन एवं डेयरी विभाग की सचिव श्रीमती अलका उपाध्याय ने अपने संबोधन में डेयरी क्षेत्र में टिकाऊ प्रथाओं की आवश्यकता और सर्कुलर अर्थव्यवस्था सिद्धांतों को एकीकृत करने के सरकार के दृष्टिकोण पर जोर दिया। इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि भारत “विश्व की डेयरी” है, उन्होंने कहा कि डेयरी क्षेत्र कृषि जीवीए में 30 प्रतिशत का योगदान देता है। इन टिकाऊ प्रथाओं का समर्थन करने के लिए, एनडीडीबी ने 1,000 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ एक नई वित्तपोषण योजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य छोटे बायोगैस, बड़े पैमाने के बायोगैस संयंत्रों और संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) परियोजनाओं के लिए ऋण सहायता के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान करना है, जिससे अगले 10 वर्षों में विभिन्न खाद प्रबंधन मॉडलों को बढ़ाने में सुविधा होगी।
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ग्रामीण पलायन की समस्या पर काबू पाने के लिए डेयरी एक महत्वपूर्ण विकल्प
अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज जब हम श्वेत क्रांति 2.0 की ओर बढ़ रहे हैं, तो स्थिरता और चक्रीयता का महत्व और भी बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि पहली श्वेत क्रांति की मदद से हमने अब तक जो हासिल किया है, उसके अलावा डेयरी क्षेत्र में स्थिरता और चक्रीयता को अभी पूरी तरह हासिल किया जाना बाकी है। अमित शाह ने कहा कि भारत की कृषि व्यवस्था छोटे किसानों पर आधारित है और गाँवों से शहरों की ओर उनका पलायन उनकी समृद्धि से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण पलायन की समस्या पर काबू पाने के साथ-साथ छोटे किसानों को समृद्ध बनाने के लिए डेयरी एक महत्वपूर्ण विकल्प है
गाय के गोबर का उपयोग किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगा
केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कहा कि डेयरी क्षेत्र में चक्रीयता और स्थिरता पर ध्यान देने के साथ, ईंधन के उत्पादन के लिए गाय के गोबर का उपयोग किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगा। सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि देश में 53 करोड़ से अधिक के विशाल पशुधन संसाधन में से लगभग 30 करोड़ गाय और भैंस हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए बड़ी मात्रा में गाय का गोबर उपलब्ध है जिसका उपयोग जैविक खाद, जैव ईंधन आदि के लिए किया जा सकता है, जिससे उत्पादकता बढ़ेगी।
केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह को धन्यवाद देते हुए राजीव रंजन सिंह ने कहा कि सरकार के समर्पित प्रयासों के कारण डेयरी क्षेत्र काफी हद तक असंगठित से संगठित क्षेत्र में बदल गया है। उन्होंने देश में हरित विकास और किसान कल्याण को बढ़ावा देने के लिए चक्रीय अर्थव्यवस्था प्रथाओं, नवीकरणीय ऊर्जा पहलों और सार्वजनिक-निजी भागीदारी के महत्व पर प्रकाश डाला। हितधारकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को नवाचार के साथ एकीकृत करने से न केवल हरित विकास को बढ़ावा मिलेगा बल्कि लाखों किसानों का उत्थान भी होगा और उनकी समृद्धि सुनिश्चित होगी।
कार्यशाला के दौरान, डेयरी उद्योग में चक्रीयता पहल को बढ़ाने के लिए आवश्यक नीति ढांचे और वित्तीय तंत्रों के इर्द-गिर्द प्रमुख चर्चा हुई। डीएएचडी, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई), उर्वरक विभाग, नाबार्ड, ओएनजीसी, एनडीडीबी, मारुति सुजुकी, जीसीएमएमएफ (अमूल), बानसकंठ मिल्क यूनियन, अमूल, जीआईजेड और ईकेआई एनर्जी सर्विसेज के वरिष्ठ अधिकारियों ने बहुमूल्य इंसाइट्स साझा की।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।