गेहूं-चावल में आत्मनिर्भर भारत, अब दलहन-तिलहन पर फोकस

गेहूं-चावल

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ग्वालियर में आयोजित गेहूं और जौ अनुसंधान गोष्ठी में कहा कि भारत गेहूं-चावल उत्पादन में आत्मनिर्भर है, लेकिन खेती को लाभकारी बनाने के लिए लागत घटाना जरूरी है। उन्होंने दलहन-तिलहन की पैदावार बढ़ाने, बायोफोर्टिफाइड गेहूं विकसित करने और मिट्टी की सेहत सुधारने पर जोर दिया। छोटे किसानों के लिए एकीकृत खेती (खेती के साथ पशुपालन, मधुमक्खी पालन, मत्स्य पालन, बागवानी) को बेहतर विकल्प बताया। साथ ही, उन्होंने कहा कि सम्मेलन से निकले सुझावों को लागू कर खेती को और मजबूत बनाया जाएगा।

ग्वालियर में आयोजित 64वीं अखिल भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान कार्यकर्ता गोष्ठी में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारत गेहूं और चावल के उत्पादन में आत्मनिर्भर है, लेकिन अब जरूरत है कि उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ खेती की लागत भी घटाई जाए, ताकि किसानों की आमदनी बढ़ सके और खेती फायदे का सौदा बने।

गेहूं के उत्पादन में 44% की बढ़ोतरी
कृषि मंत्री ने बताया कि पिछले 10-11 सालों में गेहूं का उत्पादन 86.5 मिलियन टन से बढ़कर 117.5 मिलियन टन हो गया है, यानी लगभग 44% की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि यह बड़ी उपलब्धि है, लेकिन अब हमें प्रति हेक्टेयर पैदावार को वैश्विक स्तर तक ले जाने की दिशा में काम करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि गेहूं और चावल के साथ-साथ अब दलहन और तिलहन की उत्पादकता बढ़ाना बेहद जरूरी है, ताकि आयात पर निर्भरता कम की जा सके।

बायोफोर्टिफाइड गेहूं विकसित करें कृषि वैज्ञानिक
चौहान ने कृषि वैज्ञानिकों से अपील की कि वे बायोफोर्टिफाइड गेहूं विकसित करें और खाद–कीटनाशकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से मिट्टी की बिगड़ती सेहत को बचाने के उपाय करें। उन्होंने बताया कि सरकार नकली खाद और कीटनाशक बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई कर रही है।

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छोटे किसानों के लिए एकीकृत खेती उत्तम
कृषि मंत्री ने छोटे किसानों को सलाह दी कि वे खेती के साथ-साथ पशुपालन, बागवानी, मत्स्य पालन और मधुमक्खी पालन जैसे काम भी जोड़ें, ताकि उनकी आमदनी बढ़े। उन्होंने कहा कि पराली प्रबंधन, आधुनिक तकनीक का उपयोग और स्वदेशी वस्तुओं का अपनाना भी किसानों और देश दोनों के लिए फायदेमंद होगा।

अंत में मंत्री ने कहा कि यह सम्मेलन सिर्फ औपचारिकता नहीं है, बल्कि यहां से निकलने वाले सुझावों और निष्कर्षों पर ठोस रोडमैप तैयार होगा और उसे लागू भी किया जाएगा। उनका कहना था कि वैज्ञानिक अपने शोध को सीधे किसानों तक पहुँचाएँ, ताकि “लैब से लैंड” का सपना सच हो सके।

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Pooja Rai

पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।

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