भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि फलों और सब्ज़ियों की महँगाई का फ़ायदा किसानों को नहीं बल्कि बिचौलियों और खुदरा विक्रेताओं को मिलता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि उपभोक्ता के रुपए में टमाटर के लिए किसानों की हिस्सेदारी लगभग 33 प्रतिशत, प्याज के लिए 36 प्रतिशत और आलू के लिए 37 प्रतिशत है। जबकि केला केला, अंगूर और आम जैसे फलों में भी किसानों की कमाई 40% से भी कम है।यह समस्या सिर्फ कृषि और बागवानी ही नहीं, डेयरी क्षेत्र में भी देखी जा रही है।
सरकार देश के किसानों की आय दोगुनी करने की बात करती रहती है। हर रोज़ केंद्र और राज्य सरकारें प्रचार प्रसार करती रहती हैं कि देश में किसानों के लिए हम ये कर रहे हैं जिससे किसानों का बहुत फ़ायदा हो रहा है और किसानों की आय भी दोगुनी हो रही है, ऐसा सरकारें कहती हैं।लेकिन इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक(RBI) की तरफ से जारी किया गया शोध पत्र किसानों की आय बढ़ने पर कई सवाल खड़े करता है। क्योंकि RBI की तरफ से किए गए शोध में पता चला है कि भारतीय किसानों को उनके फलों और सब्जियों की कीमत का 40% से भी कम हिस्सा ही मिलता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि फल और सब्जियां ग्राहकों तक जिस कीमत में पहुंचती है उस कीमत का सिर्फ एक तिहाई हिस्सा ही किसानों को मिलता है।
मुनाफ़े का बड़ा हिस्सा मिलता है बिचौलियों, थोक और खुदरा विक्रेताओं को
रिपोर्ट में बताया गया है कि मुनाफे का एक बड़ा हिस्सा बिचौलियों, थोक और खुदरा विक्रेताओं के हिस्से में जाता है इसके कारण किसानों को कमाई का बहुत ही कम हिस्सा मिलता है। यह समस्या सिर्फ कृषि और बागवानी ही नहीं, डेयरी क्षेत्र में भी देखी जा रही है। जहां किसानों को डेयरी उत्पाद की अंतिम कीमत का 70 फीसदी हिस्सा मिलता है।
हालांकि अंडा उत्पादकों की स्थिति इस मामले में बेहतर है। अंडा उत्पादकों को बिक्री का 75 फीसदी हिस्सा मिलता है। वहीं पॉल्ट्री किसानों को मुर्गे की खुदरा बिक्री दाम का सिर्फ 56 फीसदी ही मिलता है।
बढ़ी हुई कीमतों का फ़ायदा किसानों को नहीं मिलता
RBI के रिपोर्ट में कहा गया है कि हर साल एक या दो बार मौसम की मार या अन्य कारणों से टमाटर, प्याज या दूसरी सब्जियों की कीमतों में काफी उछाल देखा जाता है। उभभोक्ताओं को इस दौरान अधिक कीमतों में सब्जियां खरीदनी पड़ती है। लेकिन इन बढ़ी हुई कीमतों का फायदा किसानों को नहीं मिलता है। रिपोर्ट के मुताबिक़ किसानों तक टमाटर के खुदरा मूल्य का 33 प्रतिशत, प्याज को 36 प्रतिशत और आलू की बढ़ी हुई कीमत का 37 फीसदी ही मिल पाता है।
केले किसानों को मिलता है सिर्फ़ 31 प्रतिशत
ऐसा सिर्फ़ सब्जियों के किसानों के साथ नहीं बल्कि फल किसानों के साथ भी हो रहा है। केला किसानों को केले की खुदरा कीमत का सिर्फ 31 प्रतिशत ही मिल पाता है। अंगूर किसानों को 35 प्रतिशत और आम किसानों को खुदरा कीमत का 43 फीसदी ही मिलता है। इसमें दिलचस्प बात यह है कि आम किसानों को निर्यात करने पर अधिक फायदा होता है। वहीं अंगूर के मामले में भले की बाजार में कीमत अधिक रहती है पर किसानों तक इसका लाभ नहीं पहुंच पाता है।
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