पटना । बिहार में भेड बकरियों को पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स से बचाने के लिए फ्री टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है । ये अभियान 25 फरवरी से शुरू हो चुका है जो आने वाले 11 मार्च तक चलेगा। टीकाकरण अभियान शुरू किया गया है। यह अभियान बिहार के सभी जिलों में 11 मार्च तक चलेगा। पीपीआर एक खतरनाक और जानलेवा बीमारी है, जो खासकर बरसात के मौसम में फैलती है और बकरियों के पूरे झुंड में ये बीमारी फैल सकती है।
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क्या है PPR?
इस बीमारी को भेड़-बकरियों का प्लेग भी कहा जाता है, एक वायरल बीमारी है, जो मुख्य रूप से बकरियों और भेड़ों के सांस के रास्ते, नाक और मुंह से निकलने वाले स्राव, और दूषित उपकरणों से फैलती है। यह बीमारी एक बकरियों से दूसरी बकरियों में तेजी से फैलती है और अगर समय पर इलाज न किया जाए तो इसके कारण बकरियों की मौत हो सकती है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन समय पर टीकाकरण से इस बीमारी से बचाव संभव है।
अब तक कई प्रकार के PPR के टीके थे, लेकिन भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) की रिसर्च के बाद अब एक ही टीके से पीपीआर और शीप पॉक्स दोनों की रोकथाम की जा सकती है। ये टीका बकरियों और भेड़ों को इस खतरनाक बीमारी से बचाता है। बिहार सरकार ने इस टीकाकरण को पूरी तरह से मुफ्त रखा है, ताकि किसान बिना किसी खर्चे के अपनी बकरियों और भेड़ों को सुरक्षित रख सकें।
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कैसे करें बचाव?
- जैसे ही बकरी या भेड़ में PPR के लक्षण दिखें, उसे बाकी स्वस्थ पशुओं से अलग कर दें।
- संक्रमित बकरियों को पानी पिलाना बहुत जरूरी है।
- तीन महीने की उम्र से बकरियों को PPR का टीका लगवाना शुरू किया जा सकता है, फिर तीन साल की उम्र में दूसरी डोज लगवानी चाहिए।
बीमारी के लक्षण
PPR के लक्षणों में सुस्ती, भूख में कमी, आंखों और नाक से पानी बहना, मुंह में लाल दाने और घाव, और तेज बुखार शामिल हैं। अगर समय पर इलाज नहीं किया गया तो इससे दस्त और सड़न बढ़ सकती है, जिससे पशु की मौत हो सकती है।
बिहार के विभिन्न जिलों जैसे वैशाली, कटिहार, दरभंगा, और किशनगंज में यह टीकाकरण शुरू हो चुका है और अब ये पूरे राज्य में 11 मार्च तक चलेगा। सरकारी पशु चिकित्सा केन्द्रों पर यह टीका फ्री में उपलब्ध है, जबकि प्राइवेट केंद्रों पर भी इसे लगाया जा सकता है।