भीलवाड़ा में कांग्रेस नेता धीरज गुर्जर के नेतृत्व में किसानों ने “फसल मुआवजा जन अधिकार आंदोलन” शुरू किया। किसानों की शिकायत है कि मुआवजा कम और देर से मिलता है, गिरदावरी में गड़बड़ियाँ हैं। वे मांग कर रहे हैं कि मुआवजा पारदर्शी तरीके से, DBT के ज़रिए और समय पर मिले।
राजस्थान के भीलवाड़ा ज़िले में किसानों ने “फसल मुआवजा जन अधिकार आंदोलन” की शुरुआत की है। इस आंदोलन की अगुवाई कांग्रेस नेता धीरज गुर्जर कर रहे हैं। आंदोलन का मक़सद है प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों को समय पर और उचित मुआवजा दिलाना।
जमीनी हकीकत कुछ और
भारत में हर साल लाखों किसान बाढ़, सूखा, ओलावृष्टि और अतिवृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाओं से फसलों का भारी नुकसान झेलते हैं। सरकार की ओर से फसल बीमा और राहत योजनाएँ तो मौजूद हैं, लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त अलग है। कई किसान अपने अधिकारों से वंचित रह जाते हैं।
मौजूदा हालात और किसानों की शिकायतें
खरीफ सीज़न 2024-25 में राजस्थान के कई इलाकों में भारी बारिश के कारण फसलों को 33% से ज्यादा नुकसान हुआ। सबसे गंभीर हालात शाहपुरा, जहाजपुर, फुलिया कलां, काछोला और कोटड़ी तहसीलों में देखने को मिल रहे हैं। सरकार ने इस आपदा से प्रभावित 96,000 किसानों के लिए ₹53.37 करोड़ की सहायता राशि मंज़ूर की है। लेकिन किसानों का कहना है कि यह मदद न तो पर्याप्त है और न ही समय पर पहुँच रही है। इसके अलावा, गिरदावरी प्रक्रिया में देरी और गड़बड़ियों की वजह से कई किसानों को या तो बहुत कम मुआवजा मिला है या अब तक कोई राहत नहीं मिली है।

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आंदोलन की मुख्य माँगें
“फसल मुआवजा जन अधिकार आंदोलन” के तहत किसानों ने साफ माँग रखी है:
पारदर्शी और सही गिरदावरी हो।
छोटे और सीमांत किसानों को पहले भुगतान दिया जाए।
मुआवजा राशि फसल के वास्तविक नुकसान के अनुपात में तय हो।
भुगतान की अधिकतम समय सीमा तय की जाए।
किसानों को योजनाओं और भुगतान प्रक्रिया की पूरी जानकारी सरल भाषा में मिले।
सुधार की ज़रूरत
विशेषज्ञों और किसान नेताओं का मानना है कि फसल मुआवजा व्यवस्था में बड़े सुधार की ज़रूरत है। नुकसान का आकलन डिजिटल गिरदावरी और सैटेलाइट मैपिंग से तेज़ और सटीक तरीके से होना चाहिए। मुआवजा वितरण सीधे DBT (Direct Benefit Transfer) के ज़रिए तुरंत किया जाए और प्रभावित किसानों को अगली बुवाई के लिए बीज, खाद और ब्याजमुक्त कर्ज़ भी उपलब्ध कराया जाए। साथ ही, राज्य सरकारों को तय समय पर केंद्र से मिली राशि किसानों तक पहुँचाने की जवाबदेही लेनी चाहिए। किसानों का कहना है कि वे राहत भीख के तौर पर नहीं, बल्कि अपने अधिकार के रूप में चाहते हैं।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।