दिनभर की खेती किसानी से जुड़ी खबरों की न्यूज पोटली में आपका स्वागत है। चलिए देखते हैं आज की पोटली में किसानों के लिए क्या क्या नया है।
MSP से डबल हो गया है अरहर दाल का भाव
भारत दुनिया का सबसे बड़ा दलहन उत्पादक होने के बावजूद भी हमारी माँग को पूरा नहीं कर पाता। अरहर दाल की माँग को पूरा करने के लिये सरकार को डाल आयात करना पड़ता है।
अरहर दाल का दाम इस साल की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है। आयात पर बढ़ती निर्भरता ने न सिर्फ़ उपभोक्ताओं को बल्कि सरकार के लिए भी परेशानी खड़ी कर दी है। क्योंकि मांग और आपूर्ति में बैलेंस बनाने का काम सरकार का है।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक 1 से 20 मई के बीच देश में अरहर दाल का दाम 13,428.44 रुपये प्रति क्विंटल रहा, जो पिछले साल की इसी अवधि से 24.95 फीसदी अधिक है। साल 2023 में इसी अवधि के दौरान अरहर दाल की कीमत 10747.33 रुपये प्रति क्विंटल थी।जबकि इस समय अरहर का दाम MSP के मुकाबले ओपन मार्केट में लगभग डबल हो चुका है. केंद्र सरकार ने 2023-24 के लिए अरहर की MSP 7000 रुपये प्रति क्विंटल तय की हुई है।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय की ओर से इस साल 29 फरवरी को जारी किए गए 2023-24 के फसल उत्पादन अनुमान के अनुसार तूर या तुअर दाल का उत्पादन 33.39 लाख मीट्रिक टन है। हालांकि, इसकी राष्ट्रीय खपत लगभग 44-45 लाख टन सालाना बताई गई है। ऐसे में करीब 10 लाख मीट्रिक टन तुअर दाल के घाटे को आयात से पूरा किया जाता है। आयात पर हमारी निर्भरता जितनी अधिक होगी, दाम बढ़ने की संभावना उतनी ही अधिक होगी।
किसानों के लिये एक अच्छी खबर ये है कि दुनियाभर में भारतीय बासमती चावल की डिमांड बढ़ सकती है।
इस साल बासमती चावल की निर्यात मांग मजबूत रहने की संभावना है। बुवाई से पहले ये किसानों के लिये अच्छी खबर है।
पिछले साल बासमती चावल के लिए किसानों को रिकॉर्ड कीमतें मिली थीं। आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष 2023-24 में बासमती चावल का शिपमेंट पिछले वित्त वर्ष के 4.56 मिलियन टन के मुकाबले बढ़कर 5.24 मिलियन टन के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो 15 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करता है। मूल्य के संदर्भ में, सुगंधित चावल का निर्यात 38,525 करोड़ रुपये के मुकाबले 48,389 करोड़ रुपये की नई ऊंचाई पर था। विशेषज्ञों का कहना है कि यूरोपीय संघ में सुगंधित चावल का भारतीय निर्यात 0.5 दर्ज किया जा सकता है।
सरकार प्याज की कमी को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर विकिरण प्रसंस्करण(radiation processing)की योजना बना रही है।
इकोनॉमिक टाइम्स के एक रिपोर्ट के अनुसार 16% उत्पाद गिरावट के बीच सरकार 1,00,000 टन का बेंचमार्क बनाने के लिए प्याज को विकिरणित(radiate) करने की योजना बना रही है। विकिरण(radiation) का उद्देश्य मोक्ष जीवन का विस्तार करना, मूल्य निर्धारण पर पुनर्विचार करना है। NAFED और NCCF की खरीद का काम समाप्त हो गया।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की सचिव निधि खरे ने कहा कि जमाखोरी को हतोत्साहित करने और आपूर्ति में व्यवधान के कारण अक्सर कीमतों में होने वाली अस्थिरता पर अंकुश लगाने के लिए, सरकार प्याज की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर विकिरण प्रौद्योगिकी(radiation technology) का उपयोग करने की योजना बना रही है।
खरीफ सीजन में धान के मुकाबले किसानों को मक्का लगाना ज्यादा फ़ायदा दे रहा है।
धान खरीफ मौसम की प्रमुख फसल है। धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। लेकिन किसानों के लिए धान की तुलना में मक्का की खेती ज्यादा फायदेमंद है। क्योकि खरीफ मक्का के उपज में 627-628 मिमी प्रति हेक्टेयर पानी की जरूरत होती है जबकि धान को उपजाने में औसतन 1000-1200 मिमी प्रति हेक्टेयर पानी की ज़रूरत होती है और मक्के का विकास चक्र धान की तुलना में छोटा होता है जिससे किसानों को अपनी फसल तेजी से काटने और बेचने में सुविधा मिलती है।
दूसरा कारण ये भी है कि खरीफ मक्का का औसत उपज 50-55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। जबकि धान का औसत उपज 35-40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। मक्का पर कीट का प्रकोप कम होता है इसलिए कीट प्रबंधन की लागत कम होती है।
खरीफ मक्का को गेहूं या दालों जैसी अन्य फसलों के साथ चक्र में उगाया जा सकता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता में सुधार हो सकता है और कीटों और बीमारियों का जमाव कम हो सकता है और खरीफ मक्का फसल विविधीकरण का अवसर प्रदान करता है, जिससे एक ही फसल (जैसे धान) उगाने से जुड़े जोखिम कम हो जाते हैं।
और अब किसानों से लिए सबसे उपयोगी मौसम की जानाकरी
मौसम खबर
उत्तर भारत के अधिकांश राज्य इन दिनों भीषण लू की चपेट में हैं। मौसम विभाग (IMD) की मानें तो अगले 5 दिनों तक दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और यूपी में गर्मी से राहत मिलने के आसार नहीं है।
IMD ने अगले पांच दिनों के लिए राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली और पश्चिम उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में ‘रेड अलर्ट’ जारी किया है। मौसम विभाग का कहना है कि इन राज्यों के कई जिलों में दिन का अधिकतम तापमान 47 डिग्री सेल्सियस के स्तर को पार कर सकता है।
यूपी में इस साल पिछले पांच सालों का रिकॉर्ड गर्मी ने तोड़ा है यानी साल 2019 के बाद 2024 में मई को इतना गर्म महीना रिकॉर्ड किया गया है।
और आखिर में न्यूज पोटली की ज्ञान पोटली
संरक्षित खेती क्या है, कैसे होती है और इसके फ़ायदे क्या हैं?
संरक्षित खेती नए युग की नया कृषि प्रणाली है, जिसके माध्यम से किसान फसलों की मांग के अनुसार वातावरण को नियंत्रित करके मंहगी फसलों के लिए ऐसा वातावरण तैयार करते हैं, जहां पर धूप, छांव, गर्मी व ठंडक का अधिक प्रभाव न हो साथ ही तेज बारिश का असर और तीव्र हवाओं का प्रकोप भी न हो, और फसलों को प्राकृतिक प्रकोपों व अन्य कारकों से बचाव जा सके।
इसमें कीट अवरोधी नेट हाउस, ग्रीन हाउस, नवीनतम तकनीक से लैस पॉलीहाउस, प्लास्टिक लो-टनल, प्लास्टिक हाई-टनल, प्लास्टिक मल्चिंग और ड्रिप सिंचाई का इस्तेमाल होता है।
संरक्षित खेती से जुड़ी जानकारी आप इन वीडियो से ले –
खेती किसानी की रोचक जानकारी और जरुरी मुद्दों, नई तकनीक, नई मशीनों की जानकारी के लिए देखते रहिए न्यूज पोटली।