भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (IFFCO) ने हाल ही में राजस्थान के किशनगढ़ में नकली खाद और कीटनाशक फैक्ट्रियों पर हुई छापेमारी के बाद सफाई दी है. इफको ने कहा कि उनके उत्पादों को लेकर फैलाई जा रही भ्रामक खबरें बिल्कुल गलत हैं और उनके किसी भी खाद को नकली फैक्ट्रियों में नहीं पाया गया है.
IFFCO ने बयान जारी कर कहा है कि ‘किशनगढ़, राजस्थान में नकली खाद/कीटनशाक की फैक्ट्री पर एक्शन के बाद से पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया, अखबारों और विभिन्न चैनलों के माध्यम से इफको के उत्पादों को लेकर ‘भ्रामक दुष्प्रचार’ किया जा रहा है, जो कि बिल्कुल गलत है. इफको ने किसानों को कुप्रचार से बचने की सलाह दी है.
सागरिका के बारे में क्या कहा?
IFFCO ने कहा कि बताए गई जगहों पर इफको का कोई भी खाद नहीं मिला है, इसलिए किसान इफको की उत्पाद गुणवत्ता और अन्य मानकों पर कही जा रही बेबुनियाद बातों पर ध्यान न दें और इफको पर भरोसा बनाए रखें. इफको ने कहा कि उक्त एक्शन के दौरान कुछ जगहों पर इफको के संयुक्त उपक्रम एक्वाग्री (Aquagri) की ओर से बनाए जाने वाला ‘सागरिका दानेदार बायोस्टीम्युलेंट’ पाया गया है, जो किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है.
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भारत सरकार के नियमों के आधार पर बनाया जाता है उत्पाद
इफको ने कहा कि यह केंद्रीय शोध संस्थान CSIR -CSMCRI की ओर से दी गई तकनीक और भारत सरकार के नियमों के आधार पर बनाया जा रहा है, जिसमें किसी भी तरह की कोई अनियमितता नहीं है. इन स्थानों पर जो Dolomite, Gypsum, Seaweed powder, bentonite मिले हैं, इनका प्रयोग ‘सागरिका दानेदार’ को बनाने में किया जाता है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है. इसलिए किसानों से निवेदन है कि वे भ्रामक दुष्प्रचार से बचें और इफको के गुणवत्ता वाले उर्वरकों और बायोस्टीम्युलेंट’ का प्रयोग करें.

क्या है मुद्दा?
आपको बता दें कि 29 मई, 2025 को राजस्थान के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने किशनगढ़ में एक छापेमारी की, जहां इफको के ब्रांड नाम से नकली खाद बनाने वाली 34 फैक्ट्रियों का पर्दाफाश हुआ. उदयपुर कलां, डिंडवाड़ा और चोसला गांव जैसे इलाकों में चल रहीं ये फैक्ट्रियां नकली डीएपी, यूरिया, जिंक सल्फेट और अन्य उत्पाद बनाने के लिए मार्बल पाउडर, बजरी, मिट्टी और रंगीन एडिटिव्स जैसी सामग्रियों का इस्तेमाल कर रही थीं. इसके अलावा अजमेर के किशनगढ़ में हाल ही में की गई छापेमारी के दौरान नकली खाद उत्पादन का गंभीर पहलू उजागर हुआ है. सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि कुछ किसानों को इफको उत्पादों से अपेक्षित परिणाम क्यों नहीं देखने मिले रहे हैं.
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पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।