झारखंड में इफको का अभियान, नैनो उर्वरकों की तरफ बढ़ें किसान

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रांची, झारखंड

इफको यानी इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड ने झारखंड में अपने एक और नए अभियान की शुरुआत की है. इसके तहत नैनो उर्वरकों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए इफको द्वारा नैनो उर्वरक उपयोग संवर्धन अभियान की शुरुआत हुई है. इसके तहत इफको ने 200 मॉडल नैनो ग्राम समूह (क्लस्टर) चयनित किए हैं.

चयन प्रक्रिया के बाद अब इसके माध्यम से 800 गाँवों के किसानों को इफको द्वारा नैनो यूरिया प्लस, नैनो डीएपी एवं सागरिका के मूल्य पर 25 प्रतिशत का डोनेशन दिया जा रहा है ताकि किसान अपने खेतों में नैनो उर्वरकों का अधिक से अधिक इस्तेमाल करें. प्रयोग कर सकें. इसके अलावा इफको ने एक और घोषणा की है जिसके तहत किसानों के काम आने वाले ड्रोन उद्यमियों को 100 रुपए प्रति एकड़ की दर से अनुदान दिया जाएगा ताकि किसानों के लिए ड्रोन के जरिए नैनो यूरिया और डीएपी का छिड़काव आसान बन सके.

 इसके बाद इन मॉडल नैनो गाँवों में फसल उत्पादन के बाद की स्थिति का आकलन किया जाएगा और उसकी गुणवत्ता और उत्पादन के बारे में और भी किसानों को जानकारी दी जाएगी.  

इससे पहले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 100 दिवसीय कार्य योजना की शुरुआत कर चुके हैं जिसके अंतर्गत 413 जिलों में नैनो डीएपी (तरल) के 1270 प्रदर्शन एवं 100 जिलो में नैनो यूरिया प्लस (तरल) के 200 परीक्षण किए जाएँगे. इन परीक्षणों में कृषि विज्ञान केंद्र, राज्य कृषि विश्वविद्यालय एवं अन्य शोध संस्थानों की मदद ली जाएगी और भारत सरकार खुद इसकी निगरानी करेगी.

कैसे चलेगा अभियान?

कहा जा रहा है कि इस अभियान के दौरान इफको खुद ही सहकारी समितियों और अन्य बिक्री केंद्र पर नैनो उर्वरको मुहैया कराएगा. इसके बाद नैनो उर्वरकों के छिड़काव हेतु इफको द्वारा किसानों के लिए 2500 कृषि ड्रोन उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिसके लिए 300 ‘नमो ड्रोन दीदी’ तथा ड्रोन उद्यमी तैयार किए गए हैं.  इसके अतिरिक्त, अन्य प्रकार के स्प्रेयर भी उपलब्ध कराए गए हैं, जिनके माध्यम से किसान आसानी से अपने खेतों में नैनो उर्वरकों का छिड़काव कर सकेंगे. इफको ने बताया कि कुल 245 लाख एकड़ क्षेत्र पर ड्रोन द्वारा स्प्रे करने के लिए 15 संस्थाओं से अनुबंध किया गया है, जो किसानों के खेतों में छिड़काव करेंगे। प्रत्येक स्प्रे पर 100 रुपए प्रति एकड़ का इंसेंटिव भी देने  की बात इफको ने कही है.

इस महाअभियान के अंतर्गत इफको द्वारा देश के सारे जिलों में प्रचार-प्रसार, क्षेत्र-परीक्षण, सहकारी समितियों के सचिवों के प्रशिक्षण की योजना भी बनाई गई है. इस अभियान के अंतर्गत नैनो उर्वरकों की 6 करोड़ बोतलें उपलब्ध कराई जानी हैं, जिसका वितरण इफको की 36000 सदस्य सहकारी समितियों एवं अन्य सहकारी समितियों के माध्यम से किया जाएगा.

अब तक कहाँ तक पहुंचा नैनो उर्वरकों का इस्तेमाल?

अगस्त 2021 से 26 जून, 2024 तक इफको द्वारा उत्पादित कुल 7.55 करोड़ नैनो यूरिया एवं 0.69 करोड़ नैनो डीएपी की बोतलों का उपयोग किसान कर चुके हैं. इफको ने बताया है कि इस योजना का उद्देश्य किसानों को अधिक से अधिक लाभ पहुँचाने का है और इसके लिए 4 करोड़ नैनो यूरिया प्लस एवं 2 करोड़ नैनो डीएपी बोतलों के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसी क्रम में अप्रैल 2024 से इफको द्वारा किसानों को अधिक सांद्रता वाला नैनो यूरिया प्लस (लिक्विड) 20% डब्ल्यू/वी एन उपलब्ध कराया गया है, जिससे गुणवत्तापूर्ण फसल उत्पादकता बढ़ाने एवं पर्यावरण सुरक्षा में मदद मिलेगी.

नैनो उर्वरक क्यों जरूरी?

अगस्त 2021 में इफको ने नैनो तकनीक आधारित विश्व के पहले स्वदेशी नैनो यूरिया का व्यावसायिक उत्पादन कर पूरे विश्व को पारंपरिक यूरिया का एक बेहतरीन विकल्प दिया है. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि विश्व भर में पर्यावरण असंतुलन की बढ़ती गंभीर समस्या को देखते हुए नैनो उर्वरकों द्वारा खेती में पारंपरिक रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग में कमी लाने की आवश्यकता है.  यूरिया के अंधाधुंध प्रयोग से होने वाले नुकसान की बात करें, तो यूरिया की उपयोग दक्षता 30 प्रतिशत से भी कम होने से 70 प्रतिशत से अधिक मात्रा गैस के रूप में (एनओएक्स) पर्यावरण को, नाइट्रेट (एनओ3) के रूप में जल प्रदूषण करके और अमोनिया (एनएच4+, एनओ3) के रूप में हमारे लिए नुकसानदायक साबित होती है. फिर कीटों और बीमारियों का अधिक प्रकोप होना, फसल गिरना और फसल द्वारा प्रतिकूलता सहन न कर पाने में कहीं न कहीं पारंपरिक यूरिया की भूमिका है. दूसरी ओर, नैनो उर्वरकों के कई फायदे हैं, जो जल एवं वायु प्रदूषण में कमी, फसल उत्पादन एवं गुणवत्ता में वृद्धि, पारंपरिक उर्वरकों के प्रयोग में कमी, कीटों एवं रोगों के प्रकोप में कमी, परिवहन एवं भंडारण में आसानी तथा पर्यावरण अनुकूलता के तौर पर हमें आसानी से दिख जाते हैं.

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