सभी दूसरे क्षत्रों की तरह कृषि क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI और का इस्तेमाल बढ़ रहा है। खेती किसानी को सुगम बनाने के लिए सरकार के साथ गैर सरकारी संस्थान भी काम कर रहे हैं। वर्तमान में चल रहे संसद सत्र में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने बताया कि किसान ई-मित्र हर रोज़ 20,000 से अधिक किसानों के प्रश्नों का उत्तर देता है और अब तक 92 लाख से अधिक प्रश्नों का उत्तर दिया जा चुका है, जो कि AI आधारित है। इसी तरह अंतरराष्ट्रीय फसल अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय अनुसंधान संस्थान(ICRISAT) ने किसानों की मदद करने वाले AI आधारित एक एप को लॉन्च किया है।
ICRISAT द्वारा लॉन्च किए गये एप प्लांट हेल्थ डिटेक्टर (Plant Health Detector App) से किसान मौसम की जानकारी, फसल में कीट-रोग की पहचान, फसल प्रबंधन की जानकारी ले सकते है। इसके अलावा यह एप फसल में पोषक तत्वों की कमी के बारे में भी जानकारी देता है। यह एप ज्वार, बाजरा, मूंगफली, धान और मक्का जैसी फसलों में बीमारियों, कीटों और पोषक तत्वों की कमी का पता लगा सकता है। यह फसल प्रबंधन में किसानों की मदद करने के लिए वास्तविक समय का विश्लेषण प्रदान करता है। इस एप के आधार यानी डाटासेट में फसलों में कीट और रोगों का सटीकता से पता लगाने के लिए 33 हजार 972 छवियां शामिल की गई हैं।
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ICRISAT ने लगभग 1,200 क़िस्में जारी की
रिपोर्ट के मुताबिक़ ICRISAT के महानिदेशक हिमांशु पाठक ने बताया कि ICRISAT ने लगभग 1,200 किस्मों को जारी किया है। ये किस्में दुनियाभर के 150 देशों तक पहुंची हैं। नई किस्मों ने विशेष रूप से शुष्क भूमि में 20 से 25 प्रतिशत उत्पादन बढ़ाया है। उन्होंने वैज्ञानिकों से सूखे और बाढ़ की चुनौतियों को दूर करने के लिए AI और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अफ्रीकी देशों के लोग कुपोषण से पीड़ित हैं और ICRISAT के वैज्ञानिक उन देशों में कृषि उत्पादकता में सुधार कर रहे हैं।
ICRISAT क्या है?
अंतर्राष्ट्रीय फसल अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय अनुसंधान संस्थान (ICRISAT) एक गैर-लाभकारी, गैर-राजनीतिक संगठन है जो एशिया और उप-सहारा अफ्रीका की शुष्क भूमि में विकास के लिए कृषि अनुसंधान करता है, जिसका मुख्यालय हैदराबाद में है।
इसका मुख्य कार्य अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में भूख, कुपोषण, गरीबी और पर्यावरणीय गिरावट की चुनौतियों का समाधान करना, सूखे इलाकों में विकास के लिए कृषि अनुसंधान करना, सूखे इलाकों में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, छह “अनिवार्य फसलों” (ज्वार, बाजरा, रागी, मूंगफली, चना और अरहर) की कृषि उत्पादकता में सुधार करना, पर्यावरण की रक्षा के लिए अनुसंधान करना है।
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