गन्ना किसानों के लिए ICAR की नई तकनीक, अब रोपाई होगी आसान, मेहनत कम और मुनाफा ज्यादा

गन्ना किसानों के लिए ICAR की नई तकनीक

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने गन्ना किसानों के लिए “मिनी ट्रैक्टर ऑपरेटेड शुगरकेन सेटलिंग ट्रांसप्लांटर” मशीन विकसित की है।यह मशीन छोटे और मध्यम किसानों के लिए बनाई गई है, जिससे रोपाई का काम ऑटोमेटिक, तेज़ और सटीक हो जाएगा।इससे मजदूरी की जरूरत 73% तक और समय 50% तक घटेगा, साथ ही बीज और पानी की बचत भी होगी।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने गन्ना किसानों के लिए एक नई मशीन तैयार की है, जिससे खेती आसान और उत्पादन अधिक होगा।ICAR-सुगरकेन ब्रीडिंग इंस्टिट्यूट, कोयंबटूर और ICAR-सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग, कोयंबटूर ने मिलकर“मिनी ट्रैक्टर ऑपरेटेड शुगरकेन सेटलिंग ट्रांसप्लांटर नाम की यह मशीन बनाई है।

यह मशीन खास तौर पर छोटे और मध्यम आकार के खेतों के लिए बनाई गई है और इसका मकसद है — रोपाई को ऑटोमेटिक, सटीक और तेज़ बनाना।

क्या हैं इस मशीन की खासियतें?

  • मजदूरी की ज़रूरत को 73% तक कम करती है।
  • रोपाई में लगने वाला समय करीब 50% घटा देती है।
  • गन्ने की रोपाई समान, तेज़ और सटीक होती है।
  • बीज और पानी की बचत करती है।

कैसे काम करती है यह मशीन?
यह मशीन मिनी ट्रैक्टर से जुड़कर खेत में एक समान दूरी पर गन्ने के पौधे (सेटल्स) लगाती है।इससे मजदूरों पर निर्भरता घटती है और उपज बढ़ाने में मदद मिलती है।यह तकनीक उन किसानों के लिए बड़ी राहत है जो मजदूरों की कमी और बढ़ती लागत से परेशान हैं।

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किसानों के लिए फायदे
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस तकनीक से गन्ने की पैदावार और क्वालिटी दोनों बेहतर होंगी।अब किसान कम लागत और समय में ज्यादा खेतों में रोपाई कर पाएंगे।यह मशीन खास तौर पर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे गन्ना उत्पादक राज्यों के लिए उपयोगी साबित हो सकती है।

खेती का तरीका बदल देगी ये तकनीक
ICAR की यह नई मशीन खेती का तरीका बदलने की क्षमता रखती है।कम मेहनत, कम पानी, कम लागत और ज्यादा उत्पादन। यही इसकी सबसे बड़ी खासियत है।यह मशीन गन्ने के सिंगल बड सेट या बड चिप्स से पौधे लगाती है, जो आधुनिक खेती का नया तरीका है।

बाकी मशीनों से क्यों अलग है ये ट्रांसप्लांटर
पुरानी मशीनों से प्रति हेक्टेयर 8–10 टन बीज की खपत होती थी, जिससे खर्च बढ़ जाता था।नई ट्रांसप्लांटर मशीन कम बीज, कम खर्च और बेहतर रोपाई के जरिए किसानों का 20% तक खर्च बचा सकती है।

ये देखें-

Pooja Rai

पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।

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