ICAR ने किसानों को चेतावनी दी है कि मौजूदा मौसम में दीमक, सफेद मक्खी, चूसक कीट और अन्य कीटों का खतरा बढ़ गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, कीट दिखते ही तुरंत नियंत्रण उपाय अपनाना जरूरी है। क्लोरपाइरीफॉस और इमिडाक्लोप्रिड जैसी दवाओं के सही अनुपात में छिड़काव, फीरोमोन ट्रैप का उपयोग और विषाणु रोग प्रभावित पौधों को हटाना प्रभावी उपाय हैं। नियमित निगरानी और समय पर दवा का इस्तेमाल फसल की सुरक्षा, उपज और गुणवत्ता बढ़ाने का सबसे असरदार तरीका है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने किसानों के लिए चेतावनी जारी की है कि मौजूदा मौसम में फसलों पर दीमक, सफेद मक्खी, चूसक कीट और अन्य हानिकारक कीटों का खतरा बढ़ गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर खेतों में कीट दिखाई दें, तो तुरंत नियंत्रण के उपाय अपनाना जरूरी है।
दीमक से बचाव के लिए क्या करें?
दीमक से फसल की जड़ों को गंभीर नुकसान पहुँच सकता है। इसके लिए किसानों को सलाह दी जाती है कि क्लोरपाइरीफॉस 20 ईसी @ 4 मि.ली./लीटर की दर से दवा को सिंचाई जल में मिलाकर फसल में छिड़कें। सफेद मक्खी और चूसक कीटों के लिए इमिडाक्लोप्रिड 1.0 मि.ली./3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना लाभकारी है। छिड़काव केवल साफ मौसम में करना चाहिए ताकि दवा का असर पूरी तरह दिखाई दे।
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फीरोमोन ट्रैप का इस्तेमाल करें
मिर्च और बैंगन में फल छेदक और शीर्ष छेदक कीट तथा फूलगोभी और पत्तागोभी में डायमंड बैक मोथ की निगरानी के लिए 4-6 फीरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ लगाया जा सकता है। यदि प्रकोप अधिक हो, तो स्पिनोसेड 1.0 मि.ली./4 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।
मिर्च और टमाटर के लिए ये उपाय करें
साथ ही, मिर्च और टमाटर में यदि पौधे विषाणु रोग से प्रभावित हों, तो उन्हें तुरंत उखाड़कर जमीन में गाड़ देना चाहिए। अधिक प्रकोप होने पर इमिडाक्लोप्रिड @ 0.3 मि.ली./लीटर की दर से छिड़काव करना फायदेमंद रहेगा।
विशेषज्ञों के अनुसार, समय पर निगरानी और दवा का सही इस्तेमाल ही कीट नियंत्रण का सबसे प्रभावी तरीका है। इससे फसल सुरक्षित रहती है, उपज और गुणवत्ता बेहतर होती है।
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पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।