खरीफ सीजन में बाजरा की खेती राजस्थान में बड़े पैमाने पर की जाती है। हर फसल की तरह इस फसल पर भी कीटों और बीमारियों का प्रकोप देखा जा रहा है, जिसे देखते हुए राज्य के कृषि विभाग ने कीटों और रोगों से बचाव के लिए एडवाइजरी जारी की है। जानिए रोग से फसल को कैसे बचाव किया जा सकता है ।
देश में बाजरा की खेती विपरीत परिस्थितियों और कम वर्षा वाले क्षेत्रों में कम लागत के साथ की जा सकती है। बाजरा सूखा सहनशील और कम समय की फसल है जो लगभग सभी प्रकार की जमीन में उपजाई जा सकती है। राजस्थान में बाजरा की खेती प्रमुखता से की जाती है। स्थानीय बाजरे की तुलना में संकर एवं संकुल किस्मों की पैदावार काफी अधिक है। जहां वर्षा कमी हो वहाँ भी संकर या संकुल बाजरा कम सिंचाई वाले फसल के रूप में बोया जा सकता है।
बाजरा मोटे अनाज वाली खाद्यान्न फसलों में सबसे महत्वपूर्ण फसल है। इसकी बुवाई मुख्य रूप से जून से मध्य अगस्त तक होती है। इस समय राजस्थान की प्रमुख फसल बाजरा में तुलासिता रोग, ब्लास्ट रोग और सफेद लट, प्ररोह मक्खी, तना छेदक व कातरा कीट आदि का खतरा होता है। इसके लिए कृषि विभाग ने खरीफ फसल में बाजरा के कीटों और रोगों से बचाव के लिए किसानों को सतर्क रहने को कहा है। कृषि विभाग ने किसानों को दी हुई सलाह मानने को कहा है।
रोग से बचाव के लिए ये करें
1.कृषि विभाग के अनुसार, प्ररोह मक्खी और तना छेदक के नियंत्रण के लिए अंकुरण के 35 दिन बाद प्रति 10 लीटर पानी में फिप्रोनिल 40 % के साथ इमिडाक्लोप्रिड 40% WG का 5 ग्राम के हिसाब से प्रयोग करना चाहिए।
2.फड़का का प्रकोप होने पर नियंत्रण के लिए क्यूनालफॉस 1.5% चूर्ण 25 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से भुरकाव करना चाहिए।
3.फसल को तुलासिता रोग से बचाने के लिए प्रकोप वाले खेत में बुआई के 21 दिन बाद मैन्कोजेब 2 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए।
4.ब्लास्ट रोग का आंरभिक खतरा होने पर इसके नियंत्रण के लिए प्रोपीकोनाजोल 25 ईसी या ट्राइफलोक्सीस्ट्रोबिन 25% के साथ टेबुकोनाजोल 50% (75 WG) का 0.05% घोल का छिड़काव करना चाहिए। इस छिड़काव को 15 दिन बाद दोबारा दोहराने की सलाह दी है।
कृषि विभाग ने दी सलाह
किसानों को कीटनाशक का छिड़काव करते समय पूरे तरीके से शरीर ढंकने वाले वस्त्र, चश्मा, मास्क, हाथों में दस्ताने पहनना चाहिए। इस बात का खास ध्यान रखें कि मौसम साफ होने के बाद ही छिड़काव करें। बाजरा को कातरा कीट से बचाने के लिए फसल व आसपास उगे जंगली पौधों पर क्यूनालफॉस 1.5% चूर्ण 25 किलो प्रति हैक्टेयर की दर से भुरकाव करना चाहिए और खेत में लट को आने से रोकने के लिए खेत के चारों ओर गड्ढा खोदकर गड्ढे में क्यूनालफॉस 1.5% चूर्ण भुरक का छिड़काव करना चाहिए, ताकि गड्ढ़े में आने वाली लटें खत्म हो जाएं।
और खड़ी फसल में सफेद लट व दीमक को रोकने के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल का 60 ग्राम सक्रिय तत्व का बुआई के 21 दिन के बाद प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करना चाहिए।