उत्तर प्रदेश के किसानों को राज्य के कृषि विभाग ने धान की फसल में झोंका रोग और भूरा फुदका कीट के प्रकोप से सतर्क रहने को कहा है। कृषि एक्सपर्ट्स ने इन कीटों से फसल को बचाने के लिए रोगनाशक दवाओं और उनके छिड़काव का तरीका बताया है।
इस समय लगभग पूरे देश में खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान खेतों में लहलहा रही है।अभी एक दिन पहले ही कृषि मंत्रालय ने ख़रीफ़ फसलों की बुवाई के आंकड़ें जारी किये हैं, जिसके मुताबिक़ अभी तक खरीफ फसलों की 1092 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है जो की समान्य से अधिक है।वहीं धान फसल की बात करें तो पूरे देश में अब तक 409.50 लाख हेक्टेयर की बुवाई हो चुकी है जो पिछले साल के मुक़ाबले 15 लाख हेक्टेयर अधिक है।
हालांकि, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड समेत प्रमुख धान उत्पादक राज्यों में धान फसल में झोंका रोग और भूरा फुदका कीट का प्रकोप देखा जा रहा है। इससे फसल को नुकसान पहुंचने की आशंका से किसान परेशान है। ऐसे में फसल को बचाने के लिए उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने किसानों को सलाह जारी करते हुए रोगनाशक दवाएं और उनके इस्तेमाल का तरीका बताया है।
भूरा फुदका कीट के लक्षण और बचाव
उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के प्रसार शिक्षा एवं प्रशिक्षण ब्यूरो की ओर से धान किसानों को झोंका रोग और भूरा फुदका कीट के प्रकोप से सतर्क किया गया है। कृषि एक्सपर्ट ने कहा है कि धान में भूरा फुदका कीट (brown planthopper) से फसल का बचाव करना जरूरी है। यह कीट पत्तियों और नई फूटने वाले अंकुरों का रस चूसकर पौधे को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके प्रकोप से गोलाई में पौधे काले होकर सूखने लगते हैं। इस कीट को हॉपर बर्न भी कहा जाता है।
जब भूरा फुदका की संख्या 15 से 20 कीट दिखे तो फसल के बचाव के लिए किसान कार्बोफ्यूरान 3 CG 25 KG प्रति हेक्टेयर या फिर क्लोरपाइरीफास 20% EC 1.50 लीटर प्रति हेक्टेयर को 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
झोंका रोग के लक्षण और बचाव
झोंका रोग (Rice Blast) से धान की पत्तियों पर आंख की आकृति के धब्बे बनते हैं जो बीच में राख के रंग के और किनारे गहरे कत्थई रंग के होते हैं। पत्तियों के अलावा बालियों, डंठलों, फूल, शाखाओं और पौधे की गांठों पर काले-भूरे धब्बे बनते हैं। इससे पौधे की पोषकता खत्म होने लगती है और उसका विकास रुक जाता है।
झोंका रोग की रोकथाम के लिए किसान फसल में कार्बेडाजिम 50% WP 500 ग्राम या फिर मैंकोजेब या जिनेब 75% WP 2 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 500-700 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।