मानसूनी बारिश को देखते हुए पूसा ने किसानों के लिए फसल एडवाइजरी जारी की है. इसमें बताया गया है कि अभी धान पर ब्राउन प्लांट हॉपर कीट यानी भूरा फुदका कीट का अटैक हो सकता है. एडवाइजरी में फसल की लगातार निगरानी करने की सलाह दी गई है ताकि फसल को बर्बाद होने से बचाया जा सके.
मानसूनी बारिश को देखते हुए सभी किसानों को आईसीएआर, पूसा ने कहा है की इस मौसम में धान की फसल को नष्ट करने वाली ब्राउन प्लांट हॉपर (भूरा फुदका) का आक्रमण हो सकता है. इसलिए किसान खेत के अंदर जाकर पौध के निचली भाग के स्थान पर मच्छरनुमा कीट की निगरानी करें. इस समय धान की फसल मुख्य रूप से बढ़वार की स्थिति में है. इसलिए फसल में कीटों की निगरानी करें. तना छेदक कीट की निगरानी के लिए फेरोमोन प्रपंच @ 3-4/एकड़ लगाएं. यदि पत्ता मरोड़ या तना छेदक कीट का प्रकोप अधिक हो तो करटाप दवाई 4% दाने 10 किलोग्राम/एकड़ का छिड़काव करें. खड़ी फसलों और सब्जी नर्सरियों में उचित प्रबंधन रखें.
इन फसलों की करें बुवाई
वैज्ञानिकों ने कहा है कि इस मौसम में किसान स्वीट कॉर्न (माधुरी, विन ओरेंज) और बेबी क़र्न (एच एम-4) की बुवाई मेड़ों पर करें. इस मौसम में किसानों को सलाह है कि गाजर (उन्नत किस्म- पूसा वृष्टि) की बुवाई मेड़ों पर करें. बीज दर 4.0-6.0 किग्रा प्रति एकड़ रखें. बुवाई से पहले बीज को केप्टान @ 2 ग्रा. प्रति किग्रा बीज की दर से उपचार करें और खेत तैयार करते समय खेत में देसी खाद और फास्फोरस उर्वरक जरूर डालें.
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फूलगोभी और खरीफ प्याज की बुवाई करें
पूसा ने अपने एडवाइजरी में कहा है कि यदि टमाटर, मिर्च, बैंगन फूलगोभी और पत्तागोभी की पौध तैयार है तो मौसम को देखते हुए रोपाई मेड़ों (उथली क्यारियों) पर करें. इस मौसम में किसानों को सलाह है कि फूलगोभी की पूसा शरद, पूसा हाइब्रिड-2 पंत शुभ्रा (नवंबर-दिसंबर) की रोपाई के लिए पौध तैयार करना शुरू करें. खरीफ प्याज की तैयार पौध की रोपाई मेड़ों (उथली क्यारियों) पर करें. इसके अलावा सरसों साग-पूसा साग-1, मूली-वर्षा की रानी, समर लोंग, लोंग चेतकी, पालक- आल ग्रीन और धनिया-पंत हरितमा या संकर किस्मों की बुवाई मेड़ों (उथली क्यारियों) पर करें. इसके साथ ही कद्दूवर्गीय सब्जियों को ऊपर चढ़ाने की व्यवस्था करें ताकि बारिश से सब्जियों की लताओं को गलने से बचाया जा सके.
जानकारी लेने के बाद ही दवाइयों का करें प्रयोग
कद्दूवर्गीय और अन्य सब्जियों में मघुमक्खियों का बड़ा योगदान है क्योंकि, वे परागण में सहायता करती हैं. इसलिए जितना संभव हो मधुमक्खियों के पालन को बढ़ावा दें. कीड़ों और बीमारियों की लगातार निगरानी करते रहें, कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क रखें और सही जानकारी लेने के बाद ही दवाइयों का प्रयोग करें. फल मक्खी से प्रभावित फलों को तोड़कर गहरे गड्डे में दबा दें, फल मक्खी के बचाव के लिए खेत में अलग-अलग जगहों पर गुड़ या चीनी के साथ (कीटनाशी) का घोल बनाकर छोटे कप या किसी और बरतन में रख दें ताकि फल मक्खी का नियंत्रण हो सके.
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।