केले और प्याज की सहफसली खेती कैसे करें?

अगर किसी किसान के पास कम ज़मीन है, तो वह केले और प्याज की सहफसली खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते है। इसके अलावा, प्याज के स्थान पर लहसुन भी उगाया जा सकता है, जो 50-60 दिन में हार्वेस्टिंग के लिए तैयार हो जाता है। जैन इरिगेशन के एग्रोकोमिस्ट राहुल भ्रमबे ने इस विषय पर जानकारी दी है।

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सहफसली खेती की विधि

शुरुआत में केले के पौधों की बढ़त धीमी होती है। जब तक केले के पौधे दो से ढाई फीट तक बढ़ते हैं, तब तक प्याज की फसल तैयार हो जाएगी। इसके बाद, केले के पौधों से अतिरिक्त आमदनी मिल सकती है। प्याज की फसल 100-110 दिनों में तैयार हो जाती है, लेकिन ठंड के मौसम में केले के पौधे धीमी गति से बढ़ते हैं। लहसुन और प्याज दोनों को 4-5 महीने में निकाला जा सकता है।

सहफसली खेती के लिए बेड निर्माण और सिंचाई

सहफसली में बेड की ऊचाई 6 से 7 इंच और चौड़ाई 24 इंच होनी चाहिए। हर बेड पर फसल की 6 लाइनें लगानी चाहिए। इससे केले के पौधों को बढ़ने का पर्याप्त समय मिलेगा। इसके अलावा, ड्रिप इरिगेशन से सिंचाई करनी चाहिए ताकि केले की फसल को नमी मिलती रहे। ड्रिप इरिगेशन के लिए 16 मिमी पाइप और 4 एलपीएच का इस्तेमाल किया जाता है। जब प्याज की फसल निकल जाएगी, तो इसकी ड्रिप इरिगेशन प्रणाली को केले की फसल में शिफ्ट कर देना चाहिए। जब प्याज या लहसुन की फसल निकाल ली जाती है, तो 40-50 दिन पहले पानी देना कम कर देना चाहिए, ताकि मिट्टी में नमी की सही मात्रा बनी रहे।

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न्यूट्रिएंट्स और उर्वरक

केले की फसल को अधिक न्यूट्रिएंट्स की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह एक 12 महीने की फसल है। केले और प्याज को अलग-अलग न्यूट्रिएंट्स देना चाहिए। इंटकरॉपिंग में ध्यान रखा जाता है कि मुख्य फसल पर कोई भी कीट न लगे।

मिट्टी की गुणवत्ता

प्याज सॉल्ट-लविंग फसल है, जो मिट्टी से नमक को निकालने में मदद करती है, और यह केले की फसल के लिए अच्छा होता है। इसलिए सहफसली में प्याज की खेती केले की फसल को फायदेमंद बनाती है, जबकि प्याज मिट्टी में नमक की मात्रा कम करती है।

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