फसलों की वृद्धि में खाद की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसमें मौजूद सूक्ष्म पोषक तत्व फसल के उत्पादन और गुणवत्ता दोनों को बनाए रखने में मदद करते हैं। इतना ही नहीं, इसका महत्वपूर्ण कार्य यह है कि यह मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखता है, यानी मिट्टी की उत्पादन क्षमता बरकरार रहती है। लेकिन क्या आजकल बाज़ार में उपलब्ध खाद में यह गुण है? तो जबाब है नहीं।ये बात सिर्फ़ किसान या मैं ही नहीं, बल्कि अब तो कृषि मंत्री भी कह रहे हैं। कृषि मंत्री ने इस बारे में सख्त कानून बनाने की भी बात कही है।
इतना ही नहीं मार्केट में मिलने वाले खाद आम किसानों के लिए बहुत महँगी भी है, जिससे उनकी कृषि लागत बढ़ जाती है भले ही उत्पादन में सुधार ना हो। ऐसे में आज हम आपको बतायेंगे कम दाम में बिल्कुल दमदार आर्गेनिक खाद बनाने का तरीका, जिसे आप अपने खेत में भी तैयार कर सकते हैं। इसे बोकाशी खाद कहते हैं।

जापान की बोकाशी खाद, भारत में मिलने वाली दूसरी खाद से जितनी अलग है, इसके बनाने का तरीका भी उतना ही अलग है। ये organic खाद जापान की सबसे पुरानी खाद बनाने की प्रक्रिया है।इस खाद को आग के सहारे तैयार किया जाता है।
10 क्विंटल बोकाशी खाद को बनाने में सिर्फ 2 हजार रुपये का खर्च आता है। जबकि दूसरी खाद जो मार्केट से लाते हैं वो 1400-1500 रुपये सिर्फ 50 किलो ही मिलती है। पैसे का तो फर्क है ही। बोकाशी खाद किसी भी दूसरी खाद की तुलना में कहीं ज्यादा दमदार होती है।

असम के चिरांग जिले के आधुनिक किसान अमर सिंह बासुमतारी अपने खेत में सिर्फ यही खाद डालते हैं, और बढ़िया पैदावार लेते हैं। वो strawberry, vanilla, watermelon की खेती करते हैं। वो कहते हैं इस खाद के इस्तेमाल से आपके खेत की मिट्टी की गुणवत्ता बेहतर होती है, जिससे पैदावार बढ़िया मिलता है।

अमर सिंह 20 बीघे में खेती से सालाना 20 लाख रुपये कमा रहे हैं। अमर सिंह का खेती में कामयाबी की बड़ी वजह है, बोकाशी खाद बनाने की तकनीक, जो उन्होंने जापान में 9 महीने रह कर सीखी है। ये खाद पूरी तरह से जैविक है, और इसे आप भी घर पर बना सकते हैं।

अमर सिंह की पूरी सिंचाई ऑटोमेशन पर है। इस प्रगतिशील किसान की माने तो खेती में सफल होने के लिए सिंचाई की व्यवस्था का दुरुस्त होना बहुत जरूरी है। अमर सिंह और उनकी पत्नी अपने खेतों में टॉप क्वॉलिटी प्रोडक्ट उगाते हैं। उनका कहना है कि उनके उन्नत तरीकों की वजह से उनकी फसलों की मांग न सिर्फ असम में, बल्कि पड़ोसी देश भूटान तक है।
इस खाद को बनाने किन चीजों का इस्तेमाल किया जाता है और कैसे तैयार किया जाता है step by step समझिए-
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।