इस तकनीक से बढ़ेगी गन्ने की पैदावार, सरकार भी दे रही है सब्सिडी

बलरामपुर चीनी मिल

भारत में गन्ने की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। यहां हर साल करीब 58 लाख हेक्टेयर में गन्ने की खेती होती है। गन्ना एक नकदी फसल है, इससे किसानों को अच्छी आमदनी होती है। इसलिए किसान इसकी खेती में काफ़ी रुचि लेते हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों से इसकी खेती से किसान नाखुश नज़र आ रहे हैं। वजह है अधिक लागत के बावजूद पैदावार में कमी। कम पैदावार की सबसे बड़ी वजह है सिंचाई में आने वाली दिक्कत और दूसरा, गन्ने में लगने वाला लाला सड़न रोग जिसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है। लेकिन यूपी में तकनीक के ज़रिए उत्पादन में वृद्धि देखी जा रही है और सरकार भी इसमें किसानों की मदद कर रही है।

देश भर में सबसे अधिक गन्ने का उत्पादन करने वाला राज्य उत्तर प्रदेश हैं। यहां लगभग 28.53 लाख हेक्टेयर से अधिक जमीन पर गन्ने की खेती होती है, जिस पर 839 कुंटल प्रति हेक्टेयर गन्ने का उत्पादन होता है। लेकिन यहाँ के किसान भी लागत बढ़ने और उत्पादन कम होने की वजह से परेशान हैं। न्यूज़ पोटली ने उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से गन्ने की खेती को लेकर एक ग्राउंड रिपोर्ट तैयार किया है। यहाँ के किसान लंबे समय से पानी की कमी और कम गन्ने की पैदावार से जूझ रहे हैं। उपजाऊ मिट्टी के बावजूद, उचित सिंचाई सुविधाओं की कमी के कारण उत्पादकता केवल 200 क्विंटल प्रति एकड़ तक सीमित है – जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में देखी जाने वाली 400-500 क्विंटल की क्षमता से बहुत कम है।

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ड्रिप इरीगेशन पर 90% सब्सिडी
लेकिन अब बलरामपुर चीनी मिल ने तुलसीपुर में ड्रिप सिंचाई तकनीक शुरू करने की पहल की, जिससे विजय कुमार सिंह जैसे किसानों को पारंपरिक बाढ़ सिंचाई से हटकर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया गया। जैन इरिगेशन सिस्टम्स लिमिटेड के सहयोग और ड्रिप इरीगेशन पर सरकार की 90% सब्सिडी के साथ, गन्ने का उत्पादन बढ़ने से किसान लाभ कमा रहे हैं।

न्यूज़ पोटली से किसान विजय कुमार सिंह ने बताया कि हमने 5 एकड़ में ड्रिप इरीगेशन सिस्टम लगाई है और देर से रोपाई के बावजूद, प्रति हेक्टेयर 500-600 क्विंटल उपज मिलने की उम्मीद है। एक दूसरे किसान सुधीर कुमार ने बताया कि ड्रिप सिंचाई से लागत कम हुई है और उपज में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

ड्रिप इरीगेशन तकनीक का फ़ायदा क्या हुआ?
• उपज 200 क्विंटल/एकड़ से बढ़कर 500-600 क्विंटल/एकड़ हो गई
• सिंचाई लागत कम हुई और फसल की वृद्धि बेहतर हुई
• मिट्टी की सेहत में सुधार हुआ और पानी की खपत कम हुई

वीडियो देखिए –

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