लातूर। महाराष्ट्र के लातूर में पिछले दो दिनों से भारी बारिश हो रही है। इसे देखते हुए किसानों से बुआई शुरू कर दी है। बारिश की वजह से ज़िले के नदी, तालाब उफान पर हैं।
निलंगा, मदनसूरी, नीटूर, अंबुलगा (बू), कसार शिरसी, कसार बालकुंडा, पंचिनचोली, औराद शाहजानी, हलगारा, भुतमुगली में बारिश के बाद सोयाबीन, मूंग, उड़द, अरहर की बुआई शुरू हो गई है।
पिछले दो दिनों में निलंगा में 111, मदनसूरी 97, कसार शिरसी 66, कासार बलकुंदा 80, औराद सहजनी 84, नितुर 87, पानचिंचोली 81, हलगारा 84 और भुटमुगली में 66 मिमी बारिश दर्ज की गई।
निलंगा तालुका में किसानों के लिए महत्वपूर्ण तेराना नदी सोमवार रात को हुई बारिश से उफान पर है। तेरना नदी पर कोकलगांव, मदनसूरी बैराज के गेट खोल दिए गए हैं।
माकनी थोर में बिजली गिरने से भैंस की मौत
सोमवार (10 तारीख) शाम करीब पांच बजे माकणी थोर के किसान तुकाराम पांडुरंग सूर्यवंशी के खेत में बिजली गिरने से एक भैंस की मौत हो गई। पिछले दो दिनों से निलंगा तालुका के विभिन्न गांवों में गरज के साथ भारी बारिश हो रही है और सोमवार शाम को बिजली गिरने के साथ भारी बारिश हुई।
जब तक बुआई लायक बारिश न हो, किसान बुआई न करें-कृषि विभाग की अपील
जिला कृषि अधीक्षक आर. टी जाधक ने किसानों से पर्याप्त वर्षा के बिना बुआई नहीं करने की अपील की है। जिले में खेती योग्य क्षेत्रफल 6.65 लाख हेक्टेयर तथा बुआई योग्य क्षेत्रफल 6.40 लाख हेक्टेयर है। सोयाबीन जिले की प्रमुख खरीफ फसल है। सोयाबीन की फसल को बुआई के लिए आमतौर पर 75 से 100 मिलीमीटर बारिश (3 भारी बारिश) की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में उचित वर्षा नहीं हुई है, उन क्षेत्रों में किसानों को बुआई करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए, जिन क्षेत्रों में बुआई के समय समुचित वर्षा नहीं हुई है, वहां बुआई करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बीज 2 सेमी. नीचे न जाए। यदि बीज 2 से 3 सेमी नीचे चला जाता है तो कम अंकुरण के कारण बीज बर्बाद होने की संभावना अधिक रहती है। इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए संबंधित कृषि सहायक, कृषि पर्यवेक्षक या मंडल कृषि अधिकारी से संपर्क करने का अनुरोध किया जाता है।