हरियाणा सरकार राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है, जिसके तहत प्रदेश में एक लाख एकड़ में प्राकृतिक खेती करने का लक्ष्य रखा गया है। प्राकृतिक उत्पादों की सरकारी खरीदी के लिए सरकार ने गुरुग्राम में नई अनाज मंडी भी तैयार कर दी है।
इसकी जानकारी हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने दी। उन्होंने कहा कि राज्य के किसानों द्वारा प्राकृतिक तरीके से उगाई गई फसल को खरीदने के लिए प्रदेश सरकार ने गुरुग्राम में अनाज मंडी तैयार की है। अनाज मंडी में फसल की क्वालिटी चेक करने के लिए एक लैब भी बनाई गई है। इस लैब में क्वालिटी तय होने के बाद गठित की गई कमेटी द्वारा फसल की कीमत तय करके उसको खरीदा जाएगा।
10 हजार एकड़ में हो रही है प्राकृतिक खेती
कृषि मंत्री रविवार को उप उष्णकटिबंधीय फल केंद्र, लाडवा में आयोजित 7वें फल उत्सव मेले में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार का लक्ष्य है कि प्रदेश में एक लाख एकड़ में प्राकृतिक खेती करके फसलों को तैयार किया जा सके। अब तक 10 हजार एकड़ में किसानों द्वारा प्राकृतिक खेती की जा रही है, ये दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में लाडवा में इंडो इजराइल तकनीक के तहत उप उष्णकटिबंधीय फल केंद्र स्थापित किया गया था। इस केंद्र की 10 हजार पौधों से शुरुआत हुई थी, अब प्रतिवर्ष 1 लाख पौधों की पौध किसानों के लिए तैयार की जा रही है। साथ ही आम, लीची, नाशपाती, आडू और चीकू सहित छह फसलों पर अनुसंधान किया जा रहा है।
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लीची और स्ट्रॉबेरी के लिए अंबाला में खुलेगा नया केंद्र
मंत्री ने कहा कि किसानों की आमदनी बढ़ाने और परंपरागत खेती में बदलाव लाने के लिए प्रदेश में ऐसे 17 केंद्र खोले जाने हैं, जिनमें से 11 बनकर तैयार हो चुके हैं। जल्द ही अंबाला में लीची और स्ट्रॉबेरी के लिए यमुनानगर में उप केंद्र स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए गेहूं और धान की फसल के अलावा बागवानी, मछली पालन, मधुमक्खी पालन, डेयरी और अन्य फसलों को अपनाने की जरूरत है।
परंपरागत खेती में बदलाव की जरूरत
उन्होंने कहा कि देश में किसान महत्वपूर्ण कड़ी है, मौजूदा स्थिति को देखते हुए किसानों को अपनी परंपरागत खेती में बदलाव करते हुए कृषि के क्षेत्र को आगे बढ़ाने की जरूरत है। सरकार द्वारा किसानों की फसल का मार्केट में न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP से कम भाव मिलने पर भावांतर भरपाई योजना के तहत क्षतिपूर्ति की जाती है। किसानों के घाटे को सरकार वहन करती है। उन्होंने कहा कि खनन से होने वाले गड्ढों का प्रयोग मछली पालने के लिए किया जाएगा।
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पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।