अच्छी उपज के लिए ये बहुत ज़रूरी है कि किसी भी फसल की बुवाई से पहले किसान अपनी खेत की मिट्टी ज़रूर जाँच करायें। ताकि ये तो पता चले कि जो फसल आप बोने जा रहे हैं, उसके लिए ज़रूरी माइक्रोन्यूट्रिएंस उस मिट्टी में है भी या नहीं। आपके नज़दीकी कृषि केंद्र में ये जाँच निःशुल्क होता है। और आपको ये भी बताया जाता है कि उस मिट्टी में कौन सी फसल ज़्यादा अच्छी होगी और ये भी की किस माइक्रोन्यूट्रिएंस की कमी है। फिर आप उस हिसाब से खाद पानी देंगे। हरियाणा सरकार ने इसके लिए अच्छी पहल की है। हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा है कि ‘हर खेत-स्वस्थ खेत’ अभियान के अन्तर्गत आगामी तीन-चार वर्षों में राज्य के प्रत्येक एकड़ के मिट्टी के नमूने एकत्रित करके सभी किसानों को सॉयल हैल्थ कार्ड दिए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि इस अभियान के अन्तर्गत अब तक लगभग 70 लाख मृदा नमूने एकत्रित किए जा चुके हैं तथा 55 लाख नमूनो का विश्लेषण करने के बाद सॉयल हैल्थ कार्ड वितरित किए जा चुके हैं, शेष नमूनों का कार्य प्रगति पर है। सॉयल हैल्थ कार्ड योजना के तहत 86.65 लाख सॉयल हैल्थ कार्ड वितरित किए गए हैं। कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने बताया कि फलों, सब्जियों, मिट्टी और पानी में कीटनाशक अवशेषों की निगरानी के लिए सिरसा और करनाल में लैब बनाई गई हैं। साल 2023-24 मे कुल 3640 नमूनों के विश्लेषण किए गए हैं। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार का प्रयास है कि किसानों की भूमि का परीक्षण करके उनको खेती के लिए सही जानकारी दी जाए ताकि किसान अधिक से अधिक उपज ले सकें।
राज्य में 17 नई स्थायी मृदा एवं जल परीक्षण प्रयोगशालाएं
कृषि मंत्री ने बताया कि राज्य में 17 नई स्थायी मृदा एवं जल परीक्षण प्रयोगशालाएं बनाई गई हैं। राज्य की अलग-अलग मंडियों में 54 नई लघु मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं भी खोली जा चुकी हैं। इसके अलावा, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों और राजकीय महाविद्यालयों में 240 लघु मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं लगाई जा चुकी हैं। इनमें विज्ञान फैकल्टी के विद्यार्थियों द्वारा मिट्टी के नमूने जुटा कर उनका टेस्ट किया जाता है। इस योजना के तहत मिट्टी जांच के लिए विभाग द्वारा 26 मई, 2022 को ‘हर खेत-स्वस्थ खेत’ का पोर्टल लॉन्च किया गया।
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सॉइल हेल्थ कार्ड का लाभ क्या है?
1. कृषि विभाग के अधिकारी हर 3 साल पर खेत की मिट्टी की जांच करते हैं और उसकी रिपोर्ट किसानों को देते हैं। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि मिट्टी में कौन सी फसल उगानी है।
2. इस स्कीम के जरिये मिट्टी की रेगुलर मॉनिटरिंग होती है जिससे किसानों को अपडेट डाटा मिलता है। इसलिए अगर मिट्टी की सेहत बिगड़ती है या उसमें किसी तरह का बदलाव आता है तो इसकी जानकारी रिपोर्ट के जरिये किसानों को पहले मिल जाएगी। वे रिपोर्ट के आधार पर मिट्टी की सुधारने का काम शुरू कर देंगे।
3. इस स्कीम के माध्यम से सरकार कृषि विभाग में एक्सपर्ट रखती है जो किसानों को उनकी मिट्टी की हेल्थ रिपोर्ट के आधार पर सलाह देते हैं।
4. इस रिपोर्ट के जरिये किसानों को मिट्टी में पोषक तत्वों की पूरी जानकारी मिल जाती है। इसमें पता चलता है कि मिट्टी में कौन सा तत्व कम है और कौन सा ज्यादा। इसे लेकर किसानों को सलाह दी जाती है कि वे पोषक तत्वों का बैलेंस बनाने के लिए क्या उपाय कर सकते हैं।
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