फसल के विकास के लिए कुछ पोषक तत्वों की जरूरत होती है जिसे किसान भाई उर्वरकों या खाद के सहारे पूरा करते हैं जिससे उत्पादन पर कोई असर न पड़े और अंत में मार्केट अच्छी फसल के साथ अच्छे दाम भी मिल पाएं।
खेती में किसान को फायदा तब मिलता है जब मौसम की मार से बचकर उसको अच्छा उत्पादन मिले और बाजार में भी फसल की कीमत अच्छी हो। बाजार तो किसान के हाथ में होती नहीं तो किसान अच्छे और स्वस्थ उत्पादन के लिए फसल को उर्वरक के सहारे पोषण देता है जिससे पौधों में पोषण की कमी न होने पाए और फसल हरी भरी और रोग रहित मिले।
पौधे या किसी भी फसल को मूलतः ये पोषक तत्व जरूरी होते हैं-
एक फसल को 17 तरह के षोषक तत्वों की जरूरत रहती है जिसमें मेजर हिस्सा कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम होता है।
सेकेण्डरी पोर्शन होता है कैल्शियम, मैग्नीशियम और सल्फर का।
माइक्रो लेवल पर पोषक तत्व जैसे जिंक, कॉपर, बोरॉन, फेरस, मैग्नीज, क्लोरीन, सिलिकोन, मोलिब्डेनम की जरूरत होती है।
इन सभी पोषक तत्वों की पूर्ति करने के लिए किसान समय पर खाद के माध्यम से फसल को ये सभी तत्व उपलब्ध कराता रहता है।
बाजार में दो टाइप के उर्वरक आते हैं और किसान अपनी सुविधा, जानकारी और जरूरत के हिसाब से उन उर्वरकों का प्रयोग करता है। पहला है दानेदार उर्वरक (Granular fertilizer) जो दाने के रूप में आती हैं और दूसरा है जल विलयित उर्वरक जो पानी में घुल जाते हैं जिसे Water soluble fertilizer भी कहते हैं।
दानेदार फर्टिलाइजर
दानेदार फर्टिलाइजर कई कंपनी के बाजार में मिल जाएंगे। इनके दाने छोटें और बड़े दोनो हो सकते हैं तो कोई जरूरी नहीं कि महीन वाले है तो ही अच्छे से काम करेंगे। फसल की उम्र और दिये गए दिशा निर्देश के हिसाब से जरूरी फर्टिलाइजर को पौधों को दिया जाता है। दानेदार फर्टिलाइजर दिए जाने के दो तरीके काम में लिए जाते हैं पहला कि छिड़काव यानि Broadcasting दूसरा तरीका है कि ड्रिल करके फसल को खाद देना। दोनो ही तरीकों में एक चीज कॉमन है वो दानेदार फर्टिलाइजर को मिट्टी पर डाला जाता है। इससे फसल को थोड़ा समय लगता है क्योंकि पहले ये मिट्टी में मिलते है और फिर टूट कर पौधे को खींचने योग्य बनते हैं। इसमें अधिक श्रम और पैसा लगता है।
जल विलयित फर्टिलाइजर
पानी में घुलने वाल उर्वरकों को प्रगोग करने से पानी और उर्वरक दोनो को दोहन कम होता है। फसल को ज्यादा से ज्यादा पोषक तत्वों की पूर्ति होगी। उत्पादन में बढ़ोतत्तरी के साथ खर्चे में भी कमी आएगी। रखरखाव और लाने जाने में कोई बड़ी समस्या नहीं आती है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक दाने दार उर्वरक देने से पोषक तत्वों का सिर्फ 30 से 40 फीसदी ही उपयोग में आ पाता है। जबकि पानी में घुलनेवाले उर्वरकों की दक्षता 70 से 80 फीसदी होती है।
किसान भाई पानी में घुलनशील उर्वरकों को पौधों को देने के लिए फॉलियर तरीके से भी दे सकते हैं। फसल की पत्तियों पर फर्टिलाइजर पड़ता है और पौधो को पोषण मिलता है। इसके साथ ही इसे ड्रिप के साथ भी दिया जा सकता है। जिसे फर्टिगेशन कहते हैं। ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई विधि से न सिर्फ पानी का कम लगता है ब्लकि इसका एक सबसे बड़ा फायदा ये है कि इससे आप फसल को सिंचाई के साथ फर्टिलाइजर भी दे सकते हैं जिसे वैज्ञानिकों की भाषा में फर्टिगेशन कहते हैं।
संक्षेप में अंतर जानिए
दानेदार फर्टिलाइजर की दक्षता 30 से 40 प्रतिशत होती है। वहीं पानी में घुलनशील फर्टिलाइजर की दक्षता 70 से 80 प्रतिशत मानी जाती है।
दानेदार फर्टिलाइजर में अधिक श्रम और खर्चा होता है। हालांकि दाम अपेक्षाकृत कम होता है पर लाने ले जाने में इसका खर्चा बढ़ जाता है। वहीं दूसरी तरफ इसमें श्रम कम लगता है पर थोड़ी महंगा हो सकता है लेकन बाजार से लेकर आने में किसी खास साधन की जरूरत नहीं होती है।
दानेदार को छिड़काव और ड्रील तरीके से खेत में डाल सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ इसे फॉलियर और फर्टिगेशन तकनीकी से प्रयोग कर सकते हैं।
मिट्टी में खाद डाली जाती है। इसमें जड़ के पास या फिर पत्तियों पर डाला जाता है।
खरपतवार को भी पोषण मिलता है वहीं दूसरी तरफ सिर्फ फसल को पोषण मिलता है।