दिल्ली । घरेलू तिलहन कीमतों में गिरावट से जूझ रहे किसानों की मदद के लिए केंद्र सरकार एक और बड़ा फैसला लेने जा रही है। तिलहन किसानों को उचित दाम दिलाने के लिए सरकार वनस्पति तेलों के आयात पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने की तैयारी कर रही है।
भारत, जो खाद्य तेलों का दुनिया का सबसे बड़ा आयातक है, घरेलू तिलहन बाजार में गिरावट के कारण किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। किसानों को अपनी उपज के लिए उचित मूल्य नहीं मिल पा रहे हैं, जिससे वें आर्थिक रूप से कमजोर हो रहे है। सरकार की योजना है कि आयात शुल्क बढ़ाकर विदेशी तेलों की आपूर्ति को महंगा किया जाए, ताकि घरेलू तिलहन और वनस्पति तेलों की मांग बढ़े और किसानों को बेहतर दाम मिले।
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रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय सरकार इस बढ़ोतरी के माध्यम से तिलहन की कीमतों को स्थिर करने और किसानों को राहत देने की उम्मीद कर रही है। यदि सरकार द्वारा शुल्क बढ़ाने का निर्णय लिया जाता है तो इससे पाम तेल, सोया तेल और सूरजमुखी तेल के आयात में कमी आ सकती है, जिससे घरेलू बाजार में इन तेलों की कीमतों में वृद्धि हो सकती है।
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केंद्र सरकार ने सितंबर 2024 में पहले ही कच्चे और प्रॉसेस्ड वनस्पति तेलों पर 20 फीसदी का मूल सीमा शुल्क लगाया था। अब, संशोधन के बाद कच्चे पाम तेल, कच्चे सोया तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्क 27.5 फीसदी कर दिया गया है, जो पहले 5.5 फीसदी था। वहीं, इन तेलों के प्रॉसेस ग्रेड पर अब 35.75 फीसदी आयात शुल्क लागू है।
सरकार इस बढ़ी हुई ड्यूटी का असर खाद्य महंगाई दर पर भी ध्यान में रखेगी। जनवरी महीने में भारत में खाद्य महंगाई दर 6.02 फीसदी रही, जो दिसंबर में 8.39 फीसदी थी। इस दौरान सब्जियों की कीमतों में 11.35 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। सरकार का कहना है कि वह इस फैसले से खाद्य महंगाई दर पर पड़ने वाले प्रभाव को भी ध्यान में रखेगी और स्थिति के अनुसार कदम उठाएगी।