दालों की कीमत में आ सकती है ग‍िरावट, बढ़ती महंगाई के बीच राहतभरी खबर

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उपभोक्‍ताओं के ल‍िए अच्‍छी खबर है। अच्‍छे मानसून (Monsoon) की उम्‍मीद के बीच आने वाले समय में दालों (pulses) की कीमत कुछ कम हो सकती है। केंद्रीय उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने शुक्रवार को कहा कि अच्छे मानसून की उम्मीद और आयात में वृद्धि से अगले महीने से तुअर, चना और उड़द दालों की कीमतों में नरमी आने की संभावना है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि अगले महीने से इन तीनों दालों का आयात भी बढ़ेगा। इससे घरेलू आपूर्ति बढ़ाने में मदद मिलेगी।

न‍िध‍ि खरे ने संवाददाताओं से कहा कि तुअर, चना और उड़द दालों की कीमतें पिछले छह महीनों से स्थिर हैं। लेकिन उच्च स्तर पर हैं। मूंग और मसूर दालों की कीमत की स्थिति आरामदायक है।” 13 जून को चना दाल का औसत खुदरा मूल्य 87.74 रुपए प्रति किलोग्राम, तुअर (अरहर) 160.75 रुपए प्रति किलोग्राम, उड़द 126.67 रुपए प्रति किलोग्राम, मूंग 118.9 रुपए प्रति किलोग्राम और मसूर 94.34 रुपए प्रति किलोग्राम था।

दालों (Pulses) की कीमत दे सकती है राहत, अच्‍छे मानसून (Monsoon) की संभावना

उपभोक्ता मामले विभाग 550 प्रमुख उपभोक्ता केंद्रों से खुदरा कीमतें एकत्र करता है। खरे ने कहा, “जुलाई से तुअर, उड़द और चना की कीमतों में नरमी आने की संभावना है।” सचिव ने कहा कि मौसम विभाग ने सामान्य मानसून बारिश का पूर्वानुमान लगाया है। उन्होंने कहा कि हमें अच्छे मानसून, औसत से अधिक बारिश की उम्मीद है। हमें उम्मीद है कि दालों के रकबे में उल्लेखनीय सुधार होगा। किसान ऊंचे बाजार मूल्यों को देखते हुए फसलों के रकबे में और वृद्धि करेंगे। बाजार की धारणा में भी सुधार होगा।” उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को बेहतर बीज उपलब्ध कराने के लिए प्रयास कर रही है।

खरे ने जोर देकर कहा कि सरकार घरेलू उपलब्धता को बढ़ाने और खुदरा कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगी। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत चना दाल को 60 रुपए प्रति किलोग्राम पर बेचने की सरकार की योजना आम आदमी को राहत प्रदान कर रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हम घरेलू उपलब्धता को बढ़ाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।”

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भारत ने पिछले वित्तीय वर्ष में लगभग 8 लाख टन तुअर और 6 लाख टन उड़द का आयात किया। म्यांमार और अफ्रीकी देश भारत के प्रमुख निर्यातक हैं। सचिव ने कहा कि उनका विभाग आयात को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं के साथ-साथ घरेलू खुदरा विक्रेताओं, थोक विक्रेताओं और बड़ी खुदरा श्रृंखलाओं के साथ लगातार संपर्क में है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई जमाखोरी न हो।

आलू की मांग बढ़ी, बफर स्‍टॉक के ल‍िए प्‍याज की खरीद शुरू

वर्ष 2023-24 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में अरहर का उत्पादन 33.85 लाख टन रहा जबकि खपत 44-45 लाख टन रहने का अनुमान है। चना का उत्पादन 115.76 लाख टन रहा जबकि मांग 119 लाख टन है। उड़द के मामले में उत्पादन 23 लाख टन रहा जबकि खपत 33 लाख टन रहने का अनुमान है। मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को आयात के जरिए पूरा किया जाता है। सब्जियों के मामले में भी खरे ने कहा कि मानसून की बारिश का खुदरा कीमतों पर अच्छा असर होगा। आलू की मांग बढ़ गई है क्योंकि गर्मी ने हरी सब्जियों की फसल को प्रभावित किया है। सरकार ने बफर स्टॉक के लिए प्याज की खरीद शुरू कर द‍िया है और 35,000 टन पहले ही खरीदा जा चुका है। यह कोल्ड स्टोरेज के माध्यम से प्याज के शेल्फ लाइफ को बढ़ाने के प्रयास भी कर रहा है।

काम का वीड‍ियो देख‍िए

Arvind Shukla

Arvind Shukla is a freelance journalist and founder of News Potli, a website that tells the stories of farmers, women, and tribal people.

Based in Lucknow, Uttar Pradesh, he grew up in a farming community and has spent years documenting the impact of climate threats, such as droughts, floods, and water shortages, on farmers and their livelihoods.

He has previously written about the plight of sugar workers, including a story focusing on how mills in Uttar Pradesh and Maharashtra owe sugarcane cutters billions in outstanding payments.

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