हरियाणा सरकार मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना के तहत प्रतिकूल मौसम और प्राकृतिक आपदाओं के कारण बागवानी फसलों के नुकसान की स्थिति में किसानों को आर्थिक मुआवजा देती है। इस योजना के लिए आवेदन की अंतिम तारीख 31 जुलाई, 2025 तक बढ़ा दी गई है।
हरियाणा में बागवानी फसलों को बढ़ावा देने और उत्पादन बढ़ाने के लिए हरियाणा सरकार तरह तरह का प्रयास कर रही है। बागवानी शुरू करने के लिए तो सरकार सब्सिडी देती ही है। साथ ही मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना के तहत सरकार बागवानों को स्योर करना चाहती है कि अगर प्रतिकूल मौसम और प्राकृतिक आपदाओं के कारण बागवानी फसलों को नुकसान होता है तो उसका पूरा मुआवजा सरकार देगी। फ़िलहाल सरकार ने इस योजना के लिए आवेदन की अंतिम तारीख़ 31 जुलाई, 2025 तक बढ़ा दी है, जो पहले 31 मई 2025 थी।
योजना का उद्देश्य
मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना का उद्देश्य ओलावृष्टि, तापमान में अत्यधिक वृद्धि, पाला, बाढ़, तूफान और आग जैसी प्रतिकूल मौसम स्थितियों के कारण किसानों को होने वाले नुकसान की भरपाई करना है। इस योजना के तहत बागवानी फसलों की एक विस्तृत विविधता को कवर किया जाता है और नुकसान की स्थिति में समय पर आर्थिक सहायता दी जाती है।
ये भी पढ़ें – दुनिया की पहली दो Genome-edited चावल की किस्मों के बारे में जानिए
46 बागवानी फसलें होती हैं कवर
आपको बता दें कि बागवानी फसल बीमा योजना के तहत 46 बागवानी फसलें कवर की जाती हैं, जिनमें कई सारे फल, सब्जियां और मसाले शामिल हैं।
सब्जियां (23 फसलें): भिंडी, बैंगन, लौकी, शिमला मिर्च, टमाटर, प्याज, खीरा, कद्दू, तरबूज, आदि।
फल (21 फसलें): आम, अमरूद, किन्नू, नींबू, लीची, अनार, अंगूर, स्ट्रॉबेरी, आदि।
मसाले (2 फसलें): हल्दी और लहसुन
कितना देना होता है प्रीमियम?
इस योजना के तहत, किसानों को रजिस्ट्रेशन के लिए कुल बीमा प्रीमियम का केवल 2.5% भुगतान करना होता है। बाक़ी का पैसिया राज्य सरकार देती है। एक आधिकारिक समिति द्वारा मूल्यांकन के बाद मुआवजा सीधे रजिस्टर्ड किसानों के बैंक खातों में भेज दिया जाता है।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।