मौसम या बीमारी का प्रकोप, क्यों खराब हो गई तरबूज की फसल?

उत्तर प्रदेश में बाराबंकी समेत कई जिले के तरबूज किसान संकट में हैं। इस बार उनकी फसल अप्रैल के महीने में ही सूख गई है।

बाराबंकी ( उत्तर प्रदेश)। “इस बार मैंने 5 एकड़ में तरबूज़ की खेती की थी, जिसकी लागत करीब 6 लाख रुपये आई। मुझे उम्मीद थी कि, इस बार 15 लाख रुपये के करीब फसल बिकेगी, लेकिन फसल जिस तरह बर्बाद हुई है, उससे एक लाख रुपये निकालना भी मुश्किल है,” ये कहना है बाराबंकी के सरसौंदी गांव के किसान अमित वर्मा का। अमित की तरह ही बाराबंकी के दूसरे किसानों का भी यही हाल है। हर किसी कि फसल बर्बाद हो गई है। पूरे खेत में खराब हो चुके तरबूज बिखरे पड़े हैं।

द बाराबंकी समेत कई जिले के तरबूज किसान संकट में हैं। इस बार उनकी फसल अप्रैल के महीने में ही सूख गई है। जिसकी वजह से उन्हें काफी नुकसान हो रहा है। कई किसानों का कहना है कि, मुनाफा तो छोड़िए लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है। फसल क्यों खराब हो रही ये किसान भी नहीं समझ पा रहे। कुछ किसानों का कहना है कि, मौसम की वजह से ऐसा हो सकता है, क्योंकि इस बार जनवरी-फरवरी में हर साल के मकाबले कम ठंड पड़ी। गर्मी वक्त से पहले आ गई। फिर 10-11 मार्च को आंधी तूफान की वजह से तापमान अचानक से गिरावट देखी गई, लेकिन उसके बाद फिर गर्मी आ गई। इसका फसल पर बहुत बुरा असर पड़ा है। फसल मौसम की मार नहीं सह पाई।

कई किसानों का कहना है कि, फ्यूजेरियम विल्ट नाम के रोग ने फसल पर अटैक कर दिया है, जिसकी वजह से फसल सूख गई है। । फ्यूजेरियम विल्ट एक मृदाजनित कवक रोग है, जो फ्यूजेरियम प्रजाति के फंगस के कारण होता है। ये रोग पौधों के संवहनी तंत्र को नष्ट कर देता है, जिससे वे मुरझा जाते हैं और मर जाते हैं। वहीं कई किसानों को शक है कि, बीज में ही कुछ गड़बड़ी है, जिसकी वजह से उनकी तरबूज और खरबूज की खेती बर्बाद हो गई।

उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर तरबूज की खेती होती है, पूरे देश का लगभग 21 फीसदी तरबूज का उत्पादन अकेले यूपी करता है। प्रदेश में करीब 685 हजार हेक्टेयर पर इसकी खेती होती है। एक तरबूज में करीब 92 प्रतिशत पानी होता है। ये vitamins A और C के साथ ही potassium, magnesium का सोर्स है। इसकी वजह से गर्मियों में इसकी बड़ी डिमांड रहती है, लेकिन इस बार उत्पादन पर असर पड़ने से इसकी मार्केट में आपूर्ति पर भी असर पड़ रहा है, साथ ही इतने बड़े पैमाने पर फसल खराब होने से किसानों के सामने रोजी-रोटी का संकट भी खड़ा हो गया है।

बाराबंकी के किसान अमित वर्मा ने न्यूज़ पोटली को बताया कि वो करीब 15-16 सालों से तरबूज की खेती करते आ रहे हैं। वो लो टनल तरबूज की खेती से एक सीज़न में लाखों रुपये की कमाई करते थे। लेकिन इस बार उन्हें फसल के खराब होने से बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है। अमित के मुताबिक उनकी 5 एकड़ की फसल में इस बार करीब 6 लाख रुपये की लागत आई है, जबकि एक लाख रुपये की भी अब तक वापसी नहीं हो पाई है। फसल को बीमारी से बचाने के लिए उन्होंने कई बार अलग-एलग पेस्टीसाइड का छिड़काव भी किया, जिससे उनकी लागत बढ़ गई, लेकिन फायदा तब भी नहीं हुआ। अमित की तरह दूसरे किसानों का भी यही हाल है। इस बार किसी को भी तरबूज की खेती से फायदा नहीं हुआ है। अब किसान सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। किसान चाहते हैं कि, उन्हें मुआवजा मिले।

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