पहले FSSAI ने दूध के पैकेट्स पर A1-A2 लेवलिंग को बैन किया लेकिन अब वापस क्यों ले लिया फैसला?

सरस

फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने अपने एक आदेश को वापस ले लिया है. आदेश जिसमें ये कहा गया था कि खाद्य पदार्थों से जुड़ा बिजनेस करने वाली सभी संस्थाएं मार्केट में मिलने वाले दूध की पैकेजिंग से A1 और A2 लेवल हटा लें. लेकिन इस फैसले के महज तीन चार दिन बाद ही FSSAI ने अपना ये फैसला वापस लिया जिसके बाद फिर से डेरी व्यापारी ‘A1’ और ‘A2’ की लेबलिंग के साथ दूध की बिक्री जारी रख सकते हैं.

क्यों वापस लिया गया फैसला?

FSSAI की तरफ से कल यानी सोमवार को एक ऐडवाइजरी जारी की गई. इस ऐडवाइजरी में कहा गया है कि ‘A1’ और ‘A2’ की लेबलिंग हटाने के फैसले को लेकर हमें कई संस्थाओं, बॉडीज और स्टेकहोल्डर्स का पक्ष सुनने को मिला. कई ऐसे भी लोग हैं जिन्हें ‘A1’ और ‘A2’ की लेबलिंग हटाने के फैसले को लेकर आपत्ति है. इसलिए हम ये फैसला अभी के लिए वापस ले रहे हैं ताकि इस इस फैसले पर सबकी आपत्तियाँ सुनी जा सकें और फिर जो बेहतर लगे उसी दिशा में नया कदम बढ़ाया जाए.

इससे पहले क्या था FSSAI का निर्देश?

देश की इस फूड रेगुलेटर बॉडी, FSSAI ने पिछले ही सप्ताह दूध के पैकेट्स पर A1 और A2 लेबलिंग को बैन किया. FSSAI ने ना केवल इसे बैन किया बल्कि ये भी कहा इस तरह की लेबलिंग भ्रामक है और ग्राहकों को ठगने के काम आती है. संस्था ने आगे कहा था कि ये दावे फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2006 के अनुसार नहीं है इसलिए हम नियंत्रण बोर्ड के हैसिय से इस कैटेगरी और अंतर को मान्यता नहीं देते.

कंपनियों का क्या है दावा?

दूध उत्पादक कंपनियों का कहना है कि
दूध उससे बने प्रोडक्ट्स पर A1 और A2 टाइप लेबल का सीधा सा मतलब यही है कि उस दूध में ‘बीटा-केसीन प्रोटीन’ का केमिकल स्ट्रक्चर कैसा है. उनके अनुसार, दूध देने वाले पशु के ब्रीड और ओरिजिन के हिसाब से भी ये स्ट्रक्चर बदल सकता है.
दरअसल, बीटा केसीन सबसे ज्यादा मात्रा में पाया जानेवाला दूसरा प्रोटीन है. इंसानों के लिए ये एकमात्र ऐसी प्रोटीन है जो आज भी दुनिया में सहज रूप से उपलब्ध है. इसमें अमीनो एसिड का बेहतर न्यूट्रिशनल बैंलेंस होता है.

गायों के अनुसार कैसे बांटा जाता है टैग?

भारतीय नस्ल की गायों का दूध मूलतः A2 कैटेगरी में आता है. प्रोटीन में रीच दूध देने वाली इन गायों की कुछ नसलें हैं – लाल सिन्धी, साहिवाल, गिर, देवनी और थारपारकर. दूसरी ओर A1 लेबल्ड दूध यूरोपियन कैटल ब्रीड से आता है. ये गायें क्रॉस ब्रीडिंग के जरिए पैदा होती हैं. इन गायों की कुछ ब्रीड्स हैं – इ जर्सी, आयरशायर, और ब्रीटिश शॉर्ट हॉर्न.

चूंकि, FSSAI ने अब लेवल A1 और A2 की लेबलिंग हटाने के फैसले को वापस ले लिया है तो ये बहस फिर से जिंदा हो चुकी है कि क्या ऐसे दावे वाकई भ्रामक होते हैं? और यदि ऐसा है तो FSSAI ने अपने इस फैसले को वापस क्यों लिया और अगर FSSAI को ये भ्रामक नहीं लगता तो पहली बार इस पर बैन क्यों लगाया गया था.

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