पूरी दुनिया के लिए सहकारिता एक आर्थिक व्यवस्था है, लेकिन भारत के लिए यह पारंपरिक जीवन-दर्शन है: अमित शाह

सहकारिता

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मुंबई में ‘अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025’ के उपलक्ष्य में आयोजित एक राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया के लिए सहकारिता एक आर्थिक व्यवस्था हो सकती है, लेकिन भारत के लिए सहकारिता पारंपरिक जीवन दर्शन है। साथ रहना, सोचना, काम करना, साथ ही एक लक्ष्य की तरफ कदम बढ़ाना और सुख-दुख में साथ निभाना भारतीय जीवन दर्शन की आत्मा है। उन्होंने कहा कि लगभग सवा सौ साल पुराना सहकारिता आंदोलन इस देश के कई उतार-चढ़ाव में देश के गरीबों, किसानों और ग्रामीण नागरिकों, खासकर महिलाओं, का सहारा बना है।

उन्होंने कहा कि सहकारिता आंदोलन के तहत अमूल, भारतीय कृषक सहकारी उर्वरक लिमिटेड (IFFCO), कृषक भारती सहकारी लिमिटेड (KRIBHCO) या भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (NAFED) ने सफलता की ढेर सारी गाथाएं रची हैं। आज अमूल के साथ 36 लाख गरीब ग्रामीण महिलाएं जुड़ी हैं, जिनकी 100 रुपए से अधिक की पूंजी नहीं लगी है, लेकिन इन 36 लाख महिलाओं की मेहनत की वजह से आज अमूल का टर्न ओवर 80 हजार करोड़ रुपए है और मुनाफा सीधा इन महिलाओं के बैंक खाते में जा रहा है। उन्होंने कहा कि चाहे इफको हो या कृभको, छोटे किसान खेत में अपना पसीना बहा कर अपनी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर भारत सरकार को देते हैं और वही अनाज मोदी जी की योजना से गरीबों को हर महीने 5 किलो निःशुल्क राशन के तौर पर दिया जा रहा है। इस पूरी योजना की रीढ़ भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (NCCF) और NAFED है।

NAFED ऐप से किसानों का फ़ायदा
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि NAFED ऐप पर किसान अगर रजिस्टर कर दें तो उनकी सौ फीसदी दाल और मक्का NAFED एमएसपी पर खरीद लेगा। उन्होंने कहा कि अगर बाजार में मूल्य ज्यादा है तो किसान उसे बाजार में भी बेच सकते हैं और ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।शाह ने कहा कि मॉडल ऐप की सफलता को देखते हुए NAFED आने वाले दिनों में किसानों से सीधा खरीद की शुरुआत करने वाला है। इस व्यवस्था से किसान अपनी तीनों फसलों की प्लानिंग अच्छी तरह कर सकता है।

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लगभग 52000 PACS लाइव हैं
मंत्री ने कहा कि हमने लगभग सभी PACS का कंप्यूटराइजेशन किया है। लगभग 52000 PACS लाइव हो चुके हैं। हर PACS का मॉडल बायलॉज बना कर राज्यों को भेजा गया था और राज्यों ने इसे स्वीकार भी किया। इसके तहत PACS को 24 अलग-अलग प्रकार के काम करने की अनुमति दी गई है। PACS पहले सिर्फ लघु अवधि के कृषि ऋण देने का काम करते थे, लेकिन अब PACS कॉमन सर्विस सेंटर का काम कर रहे हैं, जन औषधि केंद्र भी खोल सकते हैं, पेट्रोल पम्प भी खोल सकते हैं, गैस के वितरण का काम भी कर सकते हैं, हर घर नल से जल का रख रखाव भी कर सकते हैं, गोदाम भी बना सकते हैं, सहकार टैक्सी से भी जुड़ सकते हैं और एयर एवं रेल टिकट बुकिंग भी कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि 24 प्रकार के काम से PACS को जोड़ कर हमने उन्हें व्यावहारिक बनाया है। कंप्यूटराइजेशन करने के बाद सारी अकाउंटिंग सिस्टम उनके कंप्यूटर में राज्य की स्थानीय भाषा में उपलब्ध करा दी गई है। अब सभी PACS में जन्म एवं मृत्यु प्रमाण-पत्र एवं किसानों को दाखिला भी मिलता है। केवल CSC के माध्यम से ही PACS अब 300 विभिन्न योजनाओं के केंद्र बन चुके हैं।

मंत्री ने कहा कि
अमित शाह ने कहा कि हमने तीन साल में राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (NCEL), राष्ट्रीय सहकारी ऑर्गेनिक्स लिमिटेड (NCOL) और भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (BBSSL) की स्थापना की है, जो अब किसानों की उपज को विश्व के बाजारों में बेचेंगी  और इसका मुनाफा किसान के खाते में जाएगा। उन्होंने कहा कि ऑरगेनिक प्रोडक्ट को टेस्ट करके ‘भारत’ ब्रांड के साथ ‘भारत’ ऑरगेनिक के नाम से विश्व और देश के ऑरगेनिक बाजार में बेचने से ऑरगेनिक, परंपरागत और  जैविक खेती करने वाले किसानों को फायदा तो होगा ही, साथ ही उपभोक्ताओं को विश्वसनीय तरीके से ऑरगेनिक पदार्थ  भी मिल पाएगा। शाह ने कहा कि बीजों के संरक्षण और संवर्धन के साथ हम इनकी उत्पादकता बढ़ाने का भी काम कर रहे। उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले दस साल के बाद हमारे तीन नए राष्ट्रीय कोऑपरेटिव अमूल, नाफेड, इफको, कृभको की तर्ज पर किसानों के लिए बहुत बड़ी कोऑपरेटिव संस्था बनेंगे।

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) में हमने आमूलचूल परिवर्तन लाने का काम किया है। लगभग 1 लाख 38 हजार करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता NCDC के माध्यम से दी गई है। हम मछली पालन में 44 गहरे समुद्री ट्रॉलर कोऑपरेटिव के माध्यम से दे रहे हैं। श्वेत क्रांति 2.0 के माध्यम से डेयरी सेक्टर को भी मजबूत किया जा रहा है। श्री शाह ने कहा कि भारत सरकार ने किसानों को मक्के के उचित दाम दिलाने के लिए मक्के से बनाए इथेनोल के दाम भी बढ़ाए हैं। आज हमारी गाड़ियों में मक्के से बने इथेनोल का 20 प्रतिशत तक उपयोग किया जा रहा है। इसके कारण देश का इंपोर्ट बिल बहुत कम हुआ है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में डेयरी क्षेत्र में सर्कुलर इकनोमी को बढावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं।

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Pooja Rai

पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।

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