उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किसान को हर प्रकार की सहायता सीधा किसान के कहते में देने की बात का समर्थन करते हुए कहा “किसान की आमदनी में उत्थान आएगा जब हर सहायता किसान को सीधी मिलेगी।अमेरिका वो देश है जहां किसान परिवार की आय सामान्य परिवार की आय से ज़्यादा है, इसका एक आधार है कि किसान को सीधी सरकारी सहायता मिलती है। हमारे यहां खाद को लेकर बहुत बड़ी सब्सिडी है, अन्य भी बहुत बड़ी सब्सिडी हैं पर वो indirect है। यदि वो सब सीधी किसान को दी जाए तो मेरा आंकलन है एक आधार पर कि हर किसान को हर साल कम से कम 35,000 रुपए मिलेंगे।
उन्होंने कहा KISAN सम्मान निधि सीधा किसान के खाते में जाता है, पर अब आवश्यकता है कि बाकी सहायता जो किसान को मिल रही है, वो सीधी किसान के खाते में जाए, क्योंकि इससे किसान को बहुत बड़ा फायदा होगा।नरसिंहपुर, मध्य प्रदेश में ‘कृषि उद्योग समागम’ के उद्घाटन के बाद अपने संबोधन में गत दशक की आर्थिक प्रगति पर प्रकाश डालते हुए श्री धनखड़ ने कहा,“ पिछले दशक में भारत ने बड़ी आर्थिक उछाल लगाई, हम बहुत कमज़ोर स्थिति में थे, दुनिया में, पर एक बड़ी खुशखबरी है — आज भारत दुनिया की चौथी अर्थव्यवस्था बना है। हमने किनको पीछे छोड़ा? हमने France को छोड़ दिया, England को छोड़ दिया, Japan को छोड़ दिया। किसकी बारी है? Germany की — और बहुत ही जल्दी भारत दुनिया की तीसरी बड़ी महाशक्ति बनने वाला है। आप पूरे देश में देख रहे हो कि ढांचा किस तरह से बढ़ रहा है।”
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एग्रीप्रेन्योर को बढ़ावा देने की जरूरत
Agri-entrepreneurship को बढ़ावा देने पर ज़ोर देते हुए उन्होंने कहा,“किसानों को कृषि क्षेत्र में उद्यमियों के रूप में उभरना चाहिए। हमारे किसानों को उद्यमिता को परिभाषित करना चाहिए। मैं उन्हें “एग्रीप्रेन्योर” कहता हूँ — हमें देश में लाखों एग्रीप्रेन्योर की आवश्यकता है, जो कृषि उत्पादों के विपणन, कृषि उत्पादों में मूल्य संवर्धन, और दुग्ध उत्पादन, सब्ज़ी एवं फल क्षेत्र में नेतृत्व करें।और यह खुशी की बात है कि आज के दिन समाज किसान के साथ जुड़ रहा है। देश में 730 कृषि विज्ञान केंद्र हैं और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की अनेक संस्थाएं हैं — ये सभी अब सजग और जागरूक हो गई हैं।
पशु धन को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री की सराहना की
मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा पशु धन को बढ़ावा देने के क्षेत्र में उठाये गए कदमों की सराहना करते हुए धनखड़ ने कहा, “जो कदम मुख्यमंत्री ने उठाए हैं, खासतौर से डेयरी के मामले में, पशुधन के मामले में, सब्ज़ी के मामले में, फलों के मामले में — हमें तो विश्व का नेतृत्व करना चाहिए। वो दिन दूर नहीं है कि किसान के यहाँ सिर्फ दूध तक मामला सीमित नहीं रहेगा, दही तक नहीं रहेगा, छाछ तक नहीं रहेगा, आइसक्रीम तक नहीं रहेगा, रसगुल्ले तक नहीं रहेगा — नई तकनीकी आएगी और मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि भारत का किसान राष्ट्रभक्ति में कभी कमी नहीं करता। भारत का किसान सब कष्ट सहन करके, विपरीत परिस्थितियों में — कई बार वो इंद्रदेवता की देरी से भी हो जाती है — किसान हिम्मत नहीं हारता। किसान को यदि अगर प्रेरित किया जाएगा कि किसान उद्योग में पड़े, किसान व्यापार में आए, तो देश की अर्थव्यवस्था और विकसित भारत का जो लक्ष्य है, वो 2047 से पहले हासिल हो पाएगा।
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‘खाद और अन्य सब्सिडी किसान के खाते में सीधे मिले’….मध्य प्रदेश में ‘कृषि उद्योग समागम’ में और क्या बोले उपराष्ट्रपति धनखड़?
