खरीफ में मोटे अनाज की भी खेती करेंगे किसान, यूपी सरकार मुफ्त में दे रही है बीज की मिनी किट

यूपी सरकार

खरीफ में धान, दलहन और तिलहन (अरहर, उड़द, मूंग तिल, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, नाइजर सीड आदि) की फसलों के साथ मिलेट्स यानी मोटे अनाज की भी खेती किसान करेंगे ।

उत्तर प्रदेश सरकार ने खरीफ के मौजूदा सीजन (2025) में प्रगतिशील किसानों को अलग-अलग फसल के बीज के 4.58 लाख मिनी किट नि:शुल्क बांटने का लक्ष्य रखा है। विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत ये काम चल भी रहा है। सरकार के मुताबिक, ये बीज आमतौर पर संबंधित फसलों को होने वाले प्रचलित रोगों के प्रति प्रतिरोधी होते हैं। प्रगतिशील किसानों को इन्हें प्रचार-प्रसार के लिए इसलिए दिया जाता है ताकि बाकी किसान भी उनकी फसल को देखकर सीखें।

इसी क्रम ने मिलेटस, श्रीअन्न (मोटे अनाज) को बढ़ावा देने के लिए सांवा, ज्वार, बाजरा और रागी के बीज के मिनी किट भी किसानों को दिए जा रहे हैं। इनमें से 2.47 लाख मिनी किट सिर्फ मिलेट्स के हैं। मोटे अनाज में भरपूर मात्रा में डायटरी फाइबर, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम एवं आयरन मिलते हैं।

मोटे अनाज का इतिहास
मोटे अनाज का शुमार दुनिया के प्राचीनतम अनाज में होता है। विश्व की प्राचीनतम सभ्यता होने की वजह से ये मिलेट्स हमारी थाली का भी हिस्सा रहे हैं। करीब डेढ़ दशक पहले हुए एक सर्वे के मुताबिक, 1962 में देश में प्रति व्यक्ति मोटे अनाज की सालाना खपत करीब 33 किलोग्राम थी। हालांकि, 2010 में यह घटकर मात्र चार किलोग्राम पर आ गई। दरअसल, हरित क्रांति के पहले कम खाद, पानी, प्रतिकूल मौसम में भी उपजने वाला और लंबे समय तक भंडारण योग्य मोटे अनाज हमारी थाली का मुख्य हिस्सा थे।

ये भी पढ़ें – खेती के लिए ड्रोन की खरीद पर मिलेगी ₹3.65 लाख की सब्सिडी, ट्रेनिंग का खर्च भी उठाएगी सरकार

मोटे अनाज के उत्पादन
वैश्विक स्तर पर मोटे अनाज के उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी करीब 20 प्रतिशत है। एशिया के लिहाज से देखें तो यह हिस्सेदारी करीब 80 प्रतिशत है। इसमें बाजरा एवं ज्वार हमारी मुख्य फसल है। बाजरा के उत्पादन में भारत विश्व में नंबर एक पर है। और, भारत में बाजरा उत्पादन में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर आता है।

2018 में मनाया गया था मिलेट वर्ष
भारत 2018 में ही मिलेट वर्ष मना चुका हैं। भारत की पहल पर ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया था।विकसित कृषि संकल्प अभियान भी उन्हीं कार्यक्रमों की एक कड़ी है। अभियान के दौरान प्रगतिशील किसानों को मिनी किट के रूप में दिए जाने वाले निःशुल्क गुणवत्तापूर्ण बीजों की इनका उत्पादन बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इस दौरान प्रति हेक्टेयर उपज एवं उत्पादन के लिहाज से अबतक के नतीजे भी अच्छे रहे हैं।

मिलेट को लेकर 500 से अधिक रेसिपी
सरकार के मुताबिक डबल इंजन सरकार से मिले प्रोत्साहन के कारण इनसे जुड़ी केंद्रीय संस्थाओं और प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों ने भी मोटे अनाज के लिए बेहतरीन काम किया है। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च (आईआईएमआर-हैदराबाद), केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की मदद से टेक्नोलॉजी इनक्यूबेटर न्यूट्री हब की स्थापना कर नए स्टार्टअप को बढ़ावा दे रहा है।
बयान में कहा गया है कि स्टार्टअप शुरू करने वालों को हर तरह की मदद दी जाती है। यही नहीं मिलेट को लेकर 500 से अधिक रेसिपी (रेडी टू ईट, रेडी टू कुक) भी तैयार की जा चुकी है। मोटे अनाज की अधिक उपज देने वाली एवं रोग प्रतिरोधक 150 से अधिक बेहतर प्रजातियां भी पेश की जा चुकी हैं।

पांच नए बीज पार्क बनाने की तैयारी
बीज कृषि निवेश का प्रमुख हिस्सा है। उत्पादन में इसकी भूमिका करीब 25 प्रतिशत होती है। सरकार का 2018 में भारत में मिलेट वर्ष मनाने के पहले से ही इस पर ध्यान है। अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष के आयोजन के पहले गुणवत्ता पूर्ण बीज की उपलब्धता पर और ध्यान दिया गया। सरकार के अनुसार अब तो सरकार हर तरह के और प्रदेश में सभी नौ तरह की कृषि जलवायु (एग्रो क्लाइमेट जोन) के अनुकूल गुणवत्तापूर्ण बीज की उपलब्धता के लिए पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के नाम पर पांच बीज पार्क भी बनाने जा रही है।लखनऊ के रहमान खेड़ा में स्थापित होने वाले बीज पार्क के लिए तो काम भी शुरू हो गया है।

ये देखें –

Pooja Rai

पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *