लखनऊ। उत्तर प्रदेश में शीतलहर/पाले का प्रकोप जारी है। ऐसे में राज्य के क्रॉप वेदर वॉच ग्रुप की बैठक में किसानों और पशुपालकों के लिए आने वाले दो सप्ताह के लिए मौसम पूर्वानुमान, फसल और पशुओं की देख-भाल के लिए एडवाइज़री जारी की गई है। इसके मुताबिक़ पहले सप्ताह(10-16 जनवरी, 2025) में प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में गरज के साथ हल्की बारिश होने की संभावना है। इसके अलावा कुछ क्षेत्रों में पाले की बढ़ने और कुछ में समान रहने की संभावना है। पाले से बचाव के लिए किसानों को फसल में हल्की सिंचाई करने की सलाह दी गई है।
क्रॉप वेदर वॉच ग्रुप की वर्ष 2024-25 की बाईसवीं बैठक डा. संजय सिंह, महानिदेशक, उ.प्र. कृषि अनुसंधान परिषद की अध्यक्षता में हुई। बैठक में प्रदेश में मौसम के वर्तमान स्थिति में किसानों को अगले दो सप्ताह के लिए कृषि प्रबन्धन के लिए ये सुझाव दिये गये हैं।
10-16 जनवरी तक के लिए मौसम पूर्वानुमान
बताया गया है कि 11-12 जनवरी के दौरान प्रदेश के दक्षिणी पश्चिमी अर्द्धशुष्क मैदानी क्षेत्र, बुंदेलखण्ड क्षेत्र, पश्चिमी मैदानी क्षेत्र, मध्य पश्चिमी मैदानी क्षेत्र, एवं मध्य मैदानी क्षेत्र के पश्चिमी भाग में कुछ स्थानों पर जबकि भांभर तराई क्षेत्र में तथा 15 जनवरी को बुंदेलखण्ड क्षेत्र में गरज के साथ हल्की वर्षा होने की संभावना है। इसके अलावा बाक़ी दिन मौसम सही रहने की संभावना है।
एडवाइजरी में बताया गया है कि प्रदेश के अधिकांश कृषि जलवायु क्षेत्रों में इस सप्ताह के शुरुआत में घना कोहरा तथा उसके बाद के दिनों में हल्का/मध्यम कोहरा होने की संभावना है।
17-23 जनवरी के लिए मौसम पूर्वानुमान
इस दौरान प्रदेश के उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्र के अधिकांश भाग में तापमान सामान्य के आस-पास रहने की संभावना है। प्रदेश के भाभर तराई क्षेत्र के पश्चिमी भाग एवं पश्चिमी मैदानी क्षेत्र के उत्तरी भाग में औसत साप्ताहिक अधिकतम तापमान 20 से 22 डिग्री सेल्सियस, जबकि प्रदेश के अन्य कृषि जलवायु क्षेत्रों में यह 22 से 24 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है।
इसके अलावा प्रदेश के भाभर तराई क्षेत्र के पश्चिमी भाग और विध्य क्षेत्र के अधिकांश भाग में औसत साप्ताहिक न्यूनतम तापमान 04 से 06 डिग्री सेल्सियस तथा इन क्षेत्रों में तापमान 4 डिग्री या उससे कम होने पर पाला पड़ने की भी संभावना है। और उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्र के अधिकांश भाग में औसत न्यूनतम तापमान 08 से 10 डिग्री सेल्सियस जबकि प्रदेश के अन्य कृषि जलवायु अंचलों में यह 06 से 08 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है।
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किसान ये करें
बैठक में प्रदेश के किसानों को अधिक पाले से फसलों के बचाव के लिए हल्की सिंचाई करने की सलाह दी गई है। इसमें बताया गया है कि अगेती आलू व गन्ने की कटाई के बाद खेत खाली होने पर किसान इस दौरान गेहूं की देर से बोई जाने वाली किस्मों की बुवाई कर सकते हैं।
इस दौरान चना आलू समेत कई फसलों में बीमारी के लक्षण बाई दिखायी दे रहे हैं। किसान चना में उकठा का प्रकोप दिखाई देने पर ग्रसित पौधों को उखाड़कर जला दें और अधिक मात्रा में दिखाई देने पर 5 किग्रा ट्राइकोडर्मा का 1000 लीटर पानी में घोल तैयार कर छिड़काव करें।
आलू की फसल में में एफिड (माहू) कीट की रोकथाम के लिए किसान लैम्डासाइहैलोथ्रिल 2.5 प्रतिशत ई.सी. 1 मि.ली. प्रति ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
केले में माहू की रोकथाम के लिये इमिडाक्लोप्रिड 2 मि.ली. रसायन को प्रति ली. पानी में घोलकर पर्णीय छिड़काव करें।
पशुपालक क्या करें?
वर्तमान मौसम में पशुओं में खुरपका-मुंहपका का प्रकोप अधिक होता है अतः टीकाकरण अवश्य करायें। यह सुविधा पशुचिकित्सालयों पर निःशुल्क उपलब्ध है।
मुर्गियों के बिछावन को सूखा रखें।
वर्तमान में औसत तापमान 15 डिग्री से कम हो रहा है अतः यदि मछली पूरक आहार ग्रहण नहीं करती है तो पूरक आहार का प्रयोग बंद कर दें।
ठंड के मौसम में प्राकृतिक आहार की उपलब्धता तालाब में बनाने हेतु प्रति एकड़ प्रत्येक 10 से 15 दिनों के अंतराल पर 15 कि.ग्रा. चूना, 15 कि.ग्रा. सिंगल सुपर फास्फेट, 5 कि.ग्रा. मिनरल मिक्सचर एवं 50 कि.ग्रा. सरसों या राई की खली (पानी में फुलाकर) घोलकर तालाब में छिड़काव करें।
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