दिल्ली। किसान आंदोलन के प्रस्तावित कार्यक्रम को लेकर पंजाब,हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान दिल्ली के लिए कूच कर चुके हैं। प्रशासन ने बार्डर पर कडी सुरक्षा के इतजाम किए हैं। कई जगहों पर कांटों की तार और बैरिकेट्स भी लगाये गए हैं। राजधानी समेत पंजाब और हरियाणा के कई जिलों में धारा 144 लागू है।
सितंबर 2020 को लागू किए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर हुए इस आंदोलन को पूरे देश ने देखा था। ये देश के इतिहास में सबसे लंबा किसान आंदोलन था। पंजाब से शुरू हुआ आंदोलन पूरे देश में फैला, और कानून वापसी को लेकर दिल्ली के बॉर्डर पर महीनों तक किसान डटे रहे। किसानों के आंदोलन के आगे पीछे हटी सरकार ने कृषि कानून वापस ले लिए। लेकिन किसानों की मांगें पूरी नहीं हुईं। अब एक बार फिर किसानों ने अपनी मांगों को हल्ला बोल दिया है। इस बार क्या है उनकी मांगे आपको 10 प्वाइंट्स में समझाते हैं।

क्या है किसानों की मांगें?
- न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि MSP के लिए कानूनी गारंटी
- स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाए। सभी फसलों की कीमतें C2+50% फॉर्मूले के हिसाब से तय हों।
- किसानों के कर्ज़ को माफ करे सरकार।
- लखीमपुर खीरी हिंसा पीड़ित किसानों को इंसाफ मिले।
- इंडिया को डब्ल्यूटीओ से बाहर आना चाहिए यानि कृषि वस्तुओं, दूध उत्पादों, फलों, सब्जियों पर आयात शुल्क कम करने के लिए भत्ता बढ़ाना चाहिए।
- विदेशों से और प्राथमिकता के आधार पर भारतीय किसानों की फसलों की खरीद की जाए।
- 58 साल की उम्र पार कर चुके कृषि मजदूरों को 10,000 रुपए प्रति माह की पेंशन दी जाए।
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार किया जाए। सभी फसलों को योजना का हिस्सा बनाया जाए।
- भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को उसी तरीके से लागू किया जाना चाहिए और भूमि अधिग्रहण के संबंध में केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को दिए गए निर्देशों को रद्द किया जाना चाहिए।
- मनरेगा के तहत हर साल 200 दिनों के लिए रोजगार उपलब्ध कराया जाए. मजदूरी बढ़ाकर 700 प्रति दिन की जाए और इसमें कृषि को शामिल किया जाए।